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कोरोना से पहले यात्रियों को मिलती थी कई फैसिलिटीज, जानिए ऐसी पांच सुविधाएं जिन्हें दो साल से रेलवे ने नहीं किया बहाल… 

रायपुर। सबसे बड़ा पब्लिक ट्रांसपोर्टर रेलवे ने अपने यात्रियों की सुविधाएं ही रोक रखी है, जिसे बहाल करने के बजाय दो तरफा चपत लगाने की पटरी पर ही रेलवे दौड़ रहा है। दो साल हो गए। ऐसी कई सुविधाएं मिलना बाकी है, जो कोरोना से पहले यात्रियों को मिला करती थीं। परंतु आज तक हर रोज लाखों यात्री वंचित हैं।
अब कोरोना संक्रमण देशभर में कम हो चुका है। तेजी से वैक्सीनेशन भी चल रहा है। हर सेक्टर अनलॉक होने से कई महीनों से ट्रेनें भी पूरी तरह से पैक चल रही हैं। लेकिन, कोरोना के शुरुआत से सुविधाओं पर जो ब्रेक लगा उसमें से कई आज तक बहाल नहीं हुईं। इसका खामियाजा लाखों यात्रियों को ही भुगतना पड़ रहा है।
रायपुर जंक्शन से जाने और आने वाली 110 ट्रेनें चल रही हैं। स्थिति यह है कि गाडिय़ों में एसी श्रेणी से लेकर स्लीपर कोच में टिकट कंफर्म एक्स्ट्रा कोच लगाकर करने पड़ रहे हैं। ऐसे 1000 से अधिक अतिरिक्त कोच पिछले एक साल के दौरान लगाने पड़े हैं।
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जानिए, आपके काम की वो कौन सी सुविधाएं नहीं हुई बहाल
1. जनरल कोच में रिजर्वेशन की मजबूरी
ट्रेनों के जनरल कोच में सफर करने के लिए यात्री सीधे काउंटर से टिकट लेते थे और ट्रेन में चढ़ जाते थे। दो साल से उन्हें दोहरी चपत लग रही है। रिजर्वेशन कराकर सफर करने को मजबूर हैं और जहां किराया 50 रुपए लगता था तो दो साल से 100 रुपए देना पड़ रहा है।
2. सीनियर सिटीजन से पूरा किराया वसूली
सीनियर सिटीजंस यात्रियों को कोरोना से पहले महिला यात्री 58 वर्ष से अधिक को रेल किराया में आधा छूट यानी 50 प्रतिशत और पुरुष यात्रियों 60 वर्ष से अधिक को 40 प्रतिशत तक किराया में छूट मिल रही थी। उस पर रेलवे रोक लगा पूरा किराया वसूल रहा है।
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3. लोकल से तीन गुना वसूली
हर दिन 20 से 22 हजार यात्री आसपास के शहरों के बीच सफर करते हैं। उनके लिए स्पेशल लोकल चलाई जा रही। कोरोना से पहले रायपुर से दुर्ग 10 रु. का 30 रु., भाटापारा 20 रु. की जगह 40 और बिलासपुर 25 रु. की जगह 50 रु. देना पड़ रहा है। पूरी लोकल ट्रेन नहीं चलाई जा रही।
4. चादर-तकिया का सिर्फ चार्ज कटौती
ट्रेनों के थर्ड, सेकंड और फस्र्ट एसी कोच के यात्रियों से केवल चादर-तकिया की सेवा देने के लिए रिजर्वेशन टिकट के साथ चार्ज ही लिया जा रहा है। इन श्रेणी के यात्रियों को सुविधा मिल नहीं रही। लोगों को खुद तकिया, चादर घर से लेकर सफर करना पड़ता है।
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5.  जरूरी लोकल के पहिए जाम
रायपुर के आसपास के शहरों से बड़ी संख्या में लोग काम करने आते हैं और रात 9 से 9.30 बजे अपने घरों को लौटते हैं। रायपुर स्टेशन से दुर्ग, भिलाई तरफ के लिए जो लोकल ट्रेनें चलती थी, उसे रेलवे चला नहीं रहा है। इससे कामकाजी लोगों को सबसे अधिक दिक्कतें हैं।

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