भारत

क्या टूट जायेगा किसान आंदोलन?

26 जनवरी को लाल किले पर हुई घटना ने एक तरह से किसान आंदोलन को समाप्त ही कर दिया था और लोग अपने घरों को वापस लौटने लगे थे.
ऐसे में पूरे देश ने देखा कि किस प्रकार बड़े किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे राकेश टिकैत ने कैमरे के सामने रोना – बिलखना शुरू कर दिया और उनके आंसुओं ने किसान आंदोलन में जान फूंक दी.
ज़ाहिर तौर पर फिर से किसान आंदोलन खड़ा हो गया. एक के बाद दूसरी तमाम जगहों पर महापंचायतें होने लगीं और इसका एक प्रभाव यह भी निकला कि राकेश टिकैत दूसरे किसान नेताओं से कहीं आगे खड़े हो गए.
शुरू में तो इसे लेकर किसी ने कुछ नहीं कहा, किंतु बाद के दिनों में मत भिन्नता सामने आने लगी है. अब हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने राकेश टिकैत के 2 अक्टूबर तक आंदोलन चलाने की बात को उनकी निजी राय बता दिया है. साथ ही तमाम चुनाव में भाजपा का विरोध करने की भी बात कह दी है.

इससे पहले एक अन्य किसान नेता ने भी राकेश टिकैत के रवैये पर दबे स्वर में सवाल उठाते हुए कहा था कि कोई घोषणा करने से पहले किसानों में राय मशविरा जरूरी है.
चढूनी ने तो हरियाणा और राजस्थान में महा पंचायतों को लेकर भी सवाल उठा दिया है और उसे गैर ज़रूरी बता दिया है.
ऐसे में बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि क्या किसान आंदोलन टूट रहा है?
आप क्या सोचते हैं, कमेन्ट बॉक्स में अपनी राय ज़रूर बताएं!
Web Title: Kisan movement differences

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button