गुप्तचर विशेषछत्तीसगढ़

जानिए क्या हैं सारकेगुड़ा कांड? एक बार फिर सिलगेर में जुट रहे हैं हजारों की संख्या में ग्रामीण

बीजापुर| सिलगेर में 28 जून को बड़ा आंदोलन होने की आशंका जताई जा रही हैं| इस आंदोलन में 2000 से 3000 लोगों के जुटने की संभावना है| बात दें की सारकेगुड़ा की बरसी होने की वजह से बीजापुर के साथ ही सुकमा और उससे लगे आसपास के इलाकों से भारी संख्या में ग्रामीण इकट्ठा होने की आशंका के मद्देनजर बस्तर आईजी ने सुरक्षा के पूरे इंतजाम करने का दावा किया है|

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जानिए क्या है सारकेगुड़ा कांड?
दरअसल साल 2012 में 28 जून की रात सारकेगुड़ा में सीआरपीएफ और छत्तीसगढ़ पुलिस के संयुक्त एनकाउंटर में 17 लोगों की मौत हुई थी| इस कांड के लिए एक सदस्यीय न्यायिक जांच की रिपोर्ट करीब सात साल बाद सामने आई थी|

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वहीँ ग्रामीण इसे फर्जी एनकाउंटर बता रहे थे| फिर सामने आई जांच रिपोर्ट ने भी एंकाउंटर पर सवाल उठाए थे| मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सुरक्षाबलों की मुठभेड़ में नक्सलियों के शामिल होने के सबूत मिले ही नहीं, रिपोर्ट में मारे गए लोग को ग्रामीण बताया गया था|

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आपको बता दें की रिपोर्ट में लिखा था ‘एनकाउंटर में जो जवान घायल हुए वो एक-दूसरे की गोलियों से घायल हो गए थे| ग्रामीणों की तरफ से गोली चली ही नहीं थी…गोली चलने के सबूत ही नहीं मिले|’

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यहाँ समझें पूरा घटनाक्रम
28 और 29 जून की रात साल 2012 में सारकेगुडा, कोट्टागुडा और राजपुरा के जंगलों में बैठक कर रहे ग्रामीणों पर सुरक्षाबलों और पुलिसकर्मियों ने फायरिंग की| फायरिंग में 7 नाबालिग सहित 17 ग्रामीणों की मौत हुई थी साथ ही 10 ग्रामीण घायल हो गए थे, 6 जवान भी घायल हुए थे|

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गांववालों ने सुरक्षाबलों पर एकतरफा फायरिंग का आरोप लगाया था और जांच की मांग की थी| राज्य सरकार की ओर से 7 बिंदुओं पर जांच के लिए एक सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया था| वहीँ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीके अग्रवाल की अध्यक्षता में आयोग ने इस महीने की शुरुआत में राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी|

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