गुप्तचर विशेषछत्तीसगढ़

विकास के साथ छत्तीसगढ़ में पैर पसारता लाल अतांक, जम्मू कश्मीर से ज्यादा अर्ध सैनिक बल हैं तैनात, फिर भी नहीं लगी लगाम

छत्तीसगढ़(Chhattisgarhवर्ष 2000 में जब छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश से अलग होकर नए राज्य के रूप में अस्तित्व में आया तब यहां के दो संभाग बस्तर और सरगुजा के करीब आधा दर्जन जिले ही नक्सल प्रभावित थे। राज्य के विकास के साथ नक्सलियों के आतंक ने भी पैर पसारना शुरू कर दिया धीरे-धीरे कुछ ही वर्षों में छत्तीसगढ़ के कई ज़िले नक्सल प्रभावित हो गए। बीते सात-आठ वर्षों में ही नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 18 तक पहुंच गई।

छत्तीसगढ़ बना हुआ है नक्सलियों का केंद्र बिंदु 

नक्सल प्रभावित राज्यों के बीच स्थित छत्तीसगढ़ केंद्र बिंदु की तरह है। क्योंकि बस्तर संभाग की सीमा का बड़ा हिस्सा तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के साथ ही ओडिशा से लगा हुआ है। सरगुजा संभाग की सीमाएं झारखंड से लगी हुई है। इसी तरह दुर्ग संभाग के दो जिलों की सीमा मध्य प्रदेश के बालाघाट से जुड़ी हुई है।
इन जिलों में नक्सली गतिविधियां बस्तर संभाग के सात जिलों कांकेर, कोंडागांव, नारायणपुर, बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा व बीजापुर के साथ राजनांदगांव, कवर्धा (कबीरधाम), महासमुंद, गरियाबंद, धमतरी, रायगढ़, जशपुर, कोरिया, बलरामपुर और सूरजपुर ये ऐसे जिले हैं जहां नक्सली वारदातें हुई हैं या उनकी गतिविधियां देखी गई हैं।

गृह मंत्रालय की सूची में राज्य के नक्सल प्रभावित जिले

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ के सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, कांकेर, राजनांदगांव, बस्तर, गरियाबंद, बलरामपुर, कोंडागांव, कबीरधाम और धमतरी जिले को नक्सल प्रभावित घोषित कर रखा है

जम्मू-कश्मीर से भी ज्यादा अ‌र्द्ध सैनिक बल तैनात

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पुलिस के अलावा राज्य और केंद्रीय सशस्त्र बल की करीब 100 बटालियन तैनात हैं। जम्मू- कश्मीर के बाद देश के किसी एक राज्य में यह सबसे बड़ी तैनाती है। यहां नक्सल मोर्चे पर अभी सीआरपीएफ, बीएसएफ, एसएसबी और आइटीबीपी के जवान तैनात हैं। नगा और मिजो बटालियन भी यहां नक्सल विरोधी अभियान में शामिल हो चुकी है।

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button