रायपुर। छत्तीसगढ की राजधानी रायपुर में पिछले 52 दिनों से किसान आंदोलन जारी है। अब इसमें किसान नेता राकेश टिकैत ने एंट्री ले ली है। जैसे ही उत्तर प्रदेश का चुनावी शोर थमता है इसके तुरंत बाद टिकैत किसानों के समर्थन के लिए छत्तीसगढ़ आयेंगे। उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार से भी किसानों के मुद्दे को लेकर फोन पर बात की है।
किसान नेताओं ने कहा कि यदि बघेल सरकार ने हमारी मांगें नही मानी तो हम अपना आंदोलन और तेज करेंगे। अगली बार से जिन दूसरे राज्यों के चुनाव में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जाएंगे वहां हम लोग भी जाएंगे और वहां के लोगों को कांग्रेस सरकार की हकीकत बताएंगे।
असल में, नया रायपुर स्थित मंत्रालय भवन के सामने दिल्ली की तर्ज पर 27 गांव क करीब 7000 किसान अपनी मांग को लेकर अड़े हुए हैं। इन किसानों को देशभर के दूसरे किसान संगठनों का भी समर्थन मिल रहा है।
ये है किसान संगठनों की मांग
किसान संगठनों की यह मांग है कि छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर के विकास में सहयोग देने वाले गांव के प्रभावित सभी किसानों को पुनर्स्थापन मिले, चाहे वे भूस्वामी हों या भूमिहीन। किसानों को रोजगार मिले और उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जाए। वे चाहते हैं कि सरकार की ओर से उन्हें संपूर्ण बसाहट का पट्टा मिले।
किसानों ने यह आरोप लगाया है कि गांवों की जमीन अधिग्रहण के वक्त राज्य सरकार ने जो वादा किया था, उसे अब तक नहीं निभाया है। अब किसान अपनी जिद पर अड़े गए हैं। वे सरकार से लिखित आश्वासन की मांग कर रहे हैं।
अपने वादे से मुकर रही है बघेल सरकार
किसान नेताओं का यह कहना है कि उनका ये आंदोलन महज इस बात को लेकर नहीं है कि पूर्व की सरकारों ने उनकी जमीनों का अधिग्रहण कर लिया या उनसे किया वादा नहीं निभाया। किसान संगठनों के बड़े आक्रोश की वजह यह भी है कि 2018 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भी उन्होंने एक बड़ा आंदोलन किया था। उस दौरान कांग्रेस ने हमारे आंदोलन का समर्थन किया था। उस दौरान किसान संगठनों से यह वादा किया था कि राज्य में सरकार बनने के बाद उनकी सभी मांगों को पूरा किया जाएगा।
उन्होंने कहा, छत्तीसगढ़ के गठन के बाद 27 गांवों की जमीन पूर्व की सरकार ने नवा रायपुर इलाके को विकसित करने के लिए ली थी, किसान चाहते थे कि उन्हें इसका चार गुना मुआवजा दिया जाए। वहीं हर परिवार को 1200 वर्ग फीट जमीन देने के साथ हर परिवार के एक बेरोजगार व्यक्ति को रोजगार देने की व्यवस्था भी की जाए। लेकिन राज्य में कांग्रेस सरकार को आए करीब तीन साल हो गए हैं लेकिन उन्होंने अब तक हमारी मांगे पूरी नहीं की हैं।
भाजपा जैसी ही निकली कांग्रेस भी
किसानों का यह भी कहना है कि जब दिल्ली में किसान संगठन तीन कृषि कानून को लेकर आंदोलन कर रहे थे तब भूपेश बघेल ने किसानों के इस आंदोलन का समर्थन किया था। वहीं, लखीमपुर की घटना में पीड़ित किसान के परिवार को राज्य सरकार ने 50 लाख का मुआवजा देने की घोषणा भी की थी। अब ऐसे में यह सरकार हमारी मांग क्यों पूरी नहीं कर रही है।
इन मुद्दों को लेकर किसान कर रहे हैं आंदोलन
सन 2005 से स्वतंत्र भू क्रय-विक्रय पर लगे प्रतिबंध को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए।
प्रभावित 27 ग्रामों के लिए घोषित नगरीय क्षेत्र की अधिसूचना निरस्त की जाए।
सम्पूर्ण ग्रामीणों को बसावट का पट्टा दिया जाए ।
प्रभावित क्षेत्र के प्रत्येक वयस्क व्यक्ति को 1200 वर्ग फीट विकसित भूखंड का वितरण किया जाए।
आपसी सहमति भू-अर्जन के तहत अर्जित भूमि के अनुपात में शुल्क आवंटन हो।
अर्जित भूमि पर वार्षिक राशि का भुगतान तत्काल किया जाए।
सशक्त समिति की 12वीं बैठक के निर्णयों का पूर्णतया पालन हो।
भू-स्वामियों को चार गुना मुआवजे का प्रावधान हो।
Back to top button