नागा साधुओं की दुनिया बड़ी ही विचित्र और रहस्यों से भरी हुई होती है ।अर्ध कुंभ, महाकुंभ में नागा बाबा बिना वस्त्रों के घूमते हुए भभूत लपेटे हुए नाचते गाते हुए दिखाई देते हैं। किंतु कुंभ खत्म होने के बाद यह कहां गायब हो जाते हैं। यह एक तरह का रहस्य है।
माना जाता है कि नागा साधु जब तक दीक्षा की प्राप्ति न कर ले तब तक किसी न किसी अखाड़े से जुड़े होते हैं। अखाड़ों के द्वारा साधुओं को कुंभ के लिए आमंत्रित किया जाता है। कुंभ में आपको बहुत सारे नागा साधु देखने को मिल जाते हैं किंतु कुंभ खत्म होते ही यह बहुत ही रहस्यमय तरीकों से मेले को छोड़कर जंगलों और पहाड़ों की तरफ तपस्या करने के लिए निकल पड़ते हैं।
यह एक स्थान पर कुछ वर्षों के लिए ही रहते हैं फिर नए जंगलो, गुफाओ में चले जाते हैं। इसी वजह से आज तक कोई इनके रहने का मुख्य स्थान पता नहीं कर पाया है।
नागा साधुओं के बारे में जुड़ी कुछ बातें
नागा साधु गुरु परंपराओं के अनुसार 24 घंटे में केवल एक ही बार भोजन करके अपना पेट भरते हैं ।यह भोजन वह भिक्षा मांगकर जुटाते हैं और अपनी दिनचर्या में केवल 7 घरों से ही भिक्षा मांगते हैं ।यदि इनको 7 घरों से कम भिक्षा मिलती है तो यह आठवें घर भिक्षा मांगने के लिए नहीं जाते हैं।
इनका जीवन बहुत ही कठिन नियमों से भरा हुआ होता है इन्होंने अपने सन्यासी जीवन के लिए हर तरीके के आराम को त्याग करके नागा साधु के रूप में अपनी पहचान बनाई हुई है। यह ज्यादातर अकेले ही रहते हैं और इन्हें किसी भी चीज से मोह नहीं होता है।
पुराणों के अनुसार तो नागा साधुओं को भगवान शंकर का गण भी माना जाता है।
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