कोई भी त्यौहार और शुभ काम की शुरुआत महाकाल महाराज के आशीर्वाद से की जाती है और उनका खास श्रृंगार भी किया जाता है रक्षाबंधन पर भी सबसे पहले महाकाल को ही राखी बांधी गई. सुबह 3:00 से रक्षाबंधन का कार्यक्रम महाकाल मंदिर पर शुरू हो गया भस्म आरती के बाद भगवान को पहली राखी बांधी गई और फिर सवा लाख लड्डुओं का भोग लगाया गया जिसका वितरण प्रसाद के रूप में भक्त जनों में किया जाएगा.
रक्षाबंधन पर्व और श्रावणी पूर्णिमा एक साथ मनाई गई
महाकाल मंदिर में रक्षाबंधन पर्व और श्रावणी पूर्णिमा के दृश्य एक साथ देखने को मिल रहे हैं.श्रावणी पूर्णिमा को महाकाल में लड्डुओं की भोग लगाने की परंपरा सालों से चली आ रही है. जिसको आगे बढाते हुए इस वर्ष भी सवा लाख लड्डुओं का भोग लगाया गया और पुजारी परिवार की महिलाओं द्वारा महाकाल को पहले राखी बांधी गई. यह राखी महाकाल के लिए खास तौर पर बनाई गई है. 10 दिन में तैयार हुई इस 2 फीट चौड़ी राखी को कई तरह के रेशमी धागे और रंग-बिरंगे कपड़ों का इस्तेमाल करके बनाया है.इसके अलावा मंदिर में पर्व के अवसर पर खास श्रृंगार भी किया गया जिसमें बाबा महाकाल को कई पुष्पों से सजाया गया. बता दें पूजा बाद पट भी खोल दिए गए है ताकि भक्तजन दर्शन कर सके.
शुद्ध देशी घी और 25 क्विंटल बेसन से तैयार किए गए है सवा लाख लड्डू
महाकाल मंदिर परिसर में भोग के लिए तैयार किए गए बेसन के लड्डू 25 क्विंटल बेसन और शुद्ध देसी घी से 45 लोगों की टीम द्वारा बनवाये गए है. अब इन लड्डुओं को भोग लगाने के बाद मंदिर में दर्शन करने आए हर एक भक्त को प्रसाद के रूप में बांटा जाएगा.
भद्रा को लेकर अब भी लोगों में असमंजस
हालांकि इस वर्ष लोगों में भद्रा को लेकर काफी असमंजस है की किस समय राखी बांधी जाए लेकिन उज्जैन के महाकाल में सुबह 3:00 बजे ही राखी बांधी गई और पर्व मनाया गया.