गरियाबंद। बेमौसम बारिश होने की वजह से मंगलवार को किसानों को भारी नुकसान पहुंचा है, जिसमें तेज आंधी तूफान के साथ ओले भी गिरे। लगातार 3 घंटे पानी गिरने की वजह से पकी-पकाई धान की खड़ी फसल बर्बाद हो गई वहीं ओलावृष्टि होने से किसानों को एक बार फिर अपनी बर्बाद फसल को देखकर आंसू बहाने के सिवा कुछ नहीं रह गया।
पांडुका क्षेत्र के लगभग 15 से 20 गांव में जिस तरह ओलावृष्टि हुए हैं, उससे किसानों द्वारा फसल में लगाए पूरी जमा पूंजी से किसान हताश हैं। बता दें कि फसल में कटने के समय में ओलावृष्टि होने से किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीर खींच गई है।पिछले कुछ दिनों से जिले में रुक-रुक कर बारिश हो रही है। पकी-पकाई धान की फसल की कटाई भी चालू हो गई थी जिसमें ट्यूबेल से बोय किसानों ने लगभग धान की कटाई चालू कर दी थी पर जलाशयों व नहर से बोय फसल 15 दिन देर से कटाई होने वाली थी।
ऐसे में सोमवार-मंगलवार को दोनों दिन भारी गरज-चमक के साथ पानी और आंधी तूफान भी चला जिससे कुरूद खट्टी, गाड़ाघाट, रवेली, तौरंगा, साकरा, भेड्री, धुरसा, मुरमुरा, कोपरा, पांडुका, रजन कटा सहित क्षेत्र के लगभग दर्जनों गांव में इस तरह अचानक बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों के फसल को इस कदर बर्बाद किया की धान की फसल ओलावृष्टि से खेत में झड़ गए।
वहीं किसान द्वारका राम साहू चिंताराम सागर राम श्यामलाल मोतीराम आदि किसानों ने बताया कि इस बार फसल अच्छी थी और कटाई भी चालू हो गई थी अचानक हुए ओलावृष्टि से हम लोगों के फसल खेत में ही गिर गए हैं जिससे मुश्किल से प्रति एकड़ हमको 10 कट्ठा या 10 बोरा हो जाए तो बहुत है क्योंकि पकी पकाई धान जमीन में गिर गया है जिसे अब उठाया भी नहीं जा सकता।किसान ने बताया हम लॉकडाउन की मार झेल रहे हैं ऐसे में हमारे ऊपर आन पड़ी इस परेशानी से हम लोग बहुत दुखी है और शासन से मांग करते हैं कि हमें इस ओलावृष्टि का मुआवजा दिया जाए।
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