छत्तीसगढ़ में सबने सुना होगा कि हरेली त्यौहार के दिन पूजा करने के अलावा एक और बात कही जाती है कि रात में एक जलती-बुझती सी चीज दिखाई देती है उस चीज को टोनही बरना कहा जाता है। छत्तीसगढ़ के बड़े बूढ़ों द्वारा बताया जाता है कि हर साल हरेली के दिन मतलब श्रावण कृष्ण अमावस्या की रात को टोनही औरतें यानि जादू-टोना करने वाली औरतें अपना मंत्र सिद्ध किया करती हैं।
बताया जाता है कि उनका मंत्र ढाई अक्षरों का होता है जिसे सिद्ध करने के लिए वे हरेली की रात को निर्वस्त्र होकर श्मशान-साधना करती हैं। कहा जाता है कि मंत्र सिद्ध करते वक्त उनके मुंह में एक तरह की जड़ी होती है जिसकी वजह से जो लार उनके मुंह से टपकती है वह अग्नि के समान प्रज्वलित होती है।
गांव के बैगा खेतों के कुछ नियत स्थानों पर देवी-देवताओं की पूजा करते हैं और गाँव की सीमा में एक स्थान पर विशेष पूजा करते हैं। इस पूजा को गांव बांधना कहा जाता हैं। गांव के सभी लोग इस दिन अपने ही गांव में रहते हैं वे कोई अन्य गांव भी नहीं जाया करते। इस गाँव बांधने की तांत्रिक पूजा में लाल, काले, सफ़ेद छोटे छोटे झंडे, नींबु, काली हंडी, बांस की टोकनी, चरिहा, खुमरी, बांस की बनी टोपी, नारियल, होम-धूप, लकड़ी की बैलगाड़ी का प्रतीक, दारु, मुर्गी इत्यादि का इस्तेमाल किया जाता है।
बताया जाता है कि बैगा इस पूजा मे सभी देवी-देवताओं का आह्वान करता है और पूजा में उनसे गांव की रक्षा की प्रार्थना करता है। वह निवेदन करता है कि गांव में भूत-प्रेत, टोना-टोटका एवं अन्य दैविय प्रकोप न हो। पूजा के बाद बाद एक मुर्गी को जिंदा छोड़ दिया जाता है और फ़िर उस पूजा स्थल को दुबारा पीछे मुड़ के नहीं देखा जाता।
हरेली के दिन इन बातों का रखना चाहिए विशेष ध्यान-
1. अगर हरेली के दिन आपको कोई भी सफेद रंग की चीज खाने को देता है तो आपको भूलकर उनकी दी हुई ये चीजें नहीं खानी चाहिए। इसके पीछे की एक बहुत ही ठोस वजह है और वो ये है कि इस दिन सफेद चीजों से ही टोने टोटके किए जाते हैं। तो आपको भी इन चीजों से संभल कर रहना चाहिए।
2. भूलकर भी हरेली के दिन अपने पहने हुए नए या पुराने इधर उधर नहीं फेकना चाहिए। आपके द्वारा फेका गया मामूली से भी कपड़े का सिर्फ एक टुकड़ा आपको मुसीबत में डाल देगा। इसलिए इस दिन अपने पुराने कपड़े बहार नहीं फेकना चाहिए।