नारायणपुर। छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले को माओवादियों के गढ़ के रूप में भी जाना जाता है। अबूझमाड़ देश का ऐसा इलाका है जो अपने दम खम से दुनिया में अपनी पहचान रखता है। जहां दूर दूर तक विकास की कोई किरण नहीं दिखती। लेकिन बावजूद इसके, यहां के बच्चे अभाव के बीच भी एक अच्छे खिलाड़ी बनकर निखर रहे हैं, उभर रहे हैं। यहां एक शिक्षक की जिद ने बच्चों को सुनहरे भविष्य की ओर मोड़ दिया है।
अबूझमाड़ के बेटे-बेटियां मल्लखम्भ जैसे खेल में पारंगत हो रहे हैं। केवल कुछ सालों की मेहनत ने मल्लखम्भ की एक अच्छी टीम तैयार कर दी है। इसके पीछे केवल एक व्यक्ति की जिद और जुनून ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। अबूझमाड़ के बच्चे अब बहुत नाम कमा रहे हैं। शिक्षक का नाम है मनोज प्रसाद। वे छत्तीसगढ़ सशत्र बल के 16वीं बटालियन में कॉन्स्टेबल के पद पर सेवा दे रहे है। मल्लखम्भ के प्रति उनकी दिवानगी ऐसी है कि बच्चों को मल्लखम्भ सिखाने के लिए समय नहीं मिल पाने की वजह से उन्होंने Special Task Force से अपनी पदस्थापना CAF (छत्तीसगढ़ सशत्र बल) में करा ली। मनोज उत्तरप्रदेश के बलिया जिले के निवासी हैं और एक बहुत अच्छे कोच है। स्कूली समय से ही मनोज एथलीट रहे हैं। इन्होंने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक प्राप्त किए हैं। यहां तक कि उन्हें बंगाल बेस्ट ऑफ पुरुस्कार से भी सम्मानित किया गया है।
जानकारी के मुताबिक, मनोज प्रसाद 2016 में छोटे डोंगर में STF के 16वीं बटालियन में पदस्थ थे। वे कैंपों में 3-4 बच्चों के साथ मल्लखम्भ किया करते थे। उन्होंने 15 अगस्त 2017 को नारायणपुर के रामकृष्ण मिशन ग्राउंड में अपने दो मित्रों और कुछ बच्चों के साथ पहली बार मल्लखम्भ का प्रदर्शन किया। शुरुआती प्रयास में ही बच्चों की रुचि इस दिशा में बढऩे लगी और उन्होंने बच्चों को मल्लखम्भ खेल के कठिन अभ्यास की ओर मोड़ दिया। बच्चों को मल्लखम्भ प्रशिक्षण की शुरुआत नारायणपुर के रामकृष्ण आश्रम से हुई। फिर वे धीरे-धीरे ड्यूटी से समय निकालकर कस्तूरबा गांधी स्कूल, छोटे डोंगर, देवगांव के पोर्टा केबिन के बच्चों को प्रशिक्षत करने लगे।
मनोज प्रसाद ने बताया कि चुनौती बेहद कठिन थी क्योंकि ये बच्चे पोटा केबिन में पढ़ने वाले है, जो नक्सल पीड़ित थे जिनका स्कूल तोड़ दिया गया था या उन्हें उनके गांव से डरा कर भगा दिया गया था। मनोज प्रसाद के मन में ऐसे बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ खेल में भी आगे लाने का विचार आया। तो ऐसे में बच्चों को कड़ी मेहनत वाले मल्लखम्भ खेल के लिए पौष्टिक डाइट मिलना बहुत आवश्यक था। इस काम को आगे बढ़ाने के लिए जिला नारायणपुर मल्लखम्भ संघ और छत्तीसगढ़ मल्लखम्भ संघ, IAS, IPS अधिकारी, विभागीय सीनियर अधिकारियों के साथ बहुत से लोगों ने सहयोग दिया। फिर उन्होंने बच्चों को प्रशिक्षण देना शुरू किया। कुछ साल बाद ही इसके परिणाम भी सामने आ गए। अब प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अबूझमाड़ मल्लखम्ब संघ बनाने की भी घोषणा कर दी है।
अब मल्लखम्ब में 300 बच्चों की टीम तैयार हो चुकी है। इनमें करीब 100 लड़कियां और 200 लड़के शामिल हैं। यहां तक कि अब नारायणपुर हाई स्कूल ग्राउंड में अबूझमाड़ मल्लखम्ब अकादमी की भी स्थापना हो गई है। यहां कोच मनोज प्रसाद अपने क्वांटर में 15 बच्चों अपने साथ ही रखते हैं और उन्हें हर दिन सुबह-शाम मल्लखम्भ सिखाते हैं। उन्होंने 34 बच्चों की टीम तैयार कर ली है और अब वे जिले के अन्य गांवों के 100 बच्चों को प्रशिक्षण देने लगे हैं। उन्होंने कहा कि जो बच्चे अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, वे उन्हें आगे बढ़ाने के लिए पारंगत कर रहे हैं।
बच्चों की मल्लखम्भ टीम अब नारायणपुर से बाहर निकलकर अपने इस हुनर का प्रदर्शन करने लगी है। इस टीम ने पहली बार विल्लुपुरम में आयोजित एक टूर्नामेंट के मौके पर अपने खेल का प्रदर्शन किया था। लेकिन वहां उन्हें हार मिली। इसके बाद उन्होंने प्रतापपुर में होने वाले चैंपियनशिप में बेहतर सहभागिता निभाई थी। उन्होंने 2020 में 5 से 7 मार्च को बिलासपुर में एक प्रतियोगिता में 8 स्वर्ण और 3 कांस्य पदक प्राप्त किए थे। बच्चों ने 26 से 30 नवम्बर 2021 में उज्जैन में आयोजित राष्ट्रीय मल्लखम्भ प्रतियोगिता में अपना हुनर दिखाया।
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