वारदात

अंधविश्वास ने ली एक और जान, 23 वर्षीय लड़की ने रेता अपना गला, फिर मूर्ति पर चढ़ाया खून, फंदे पर लटकती मिली लाश

देवी को प्रसन्न करने के लिए लोग कई तरह के तरीके अपनाते हैं, लेकिन मेरठ में एक युवती ने एेसा तरीका अपनाया कि देखने वाले भौंचक रह गए। घटना खरखौदा थाना क्षेत्र के अंतर्गत कूड़ी गांव की है। 30 वर्षीय मीनू ने अंधविश्वास के चलते खासपुर के जंगल में स्थित एक मंदिर में फांसी लगाकर जान दे दी। देवी मां को खुश करने के लिए उसने गर्दन रेतकर अपना खून माता की मूर्ति पर चढ़ाया और बाद में खुद फंदे पर झूल गई।
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खोजबीन के बाद परिजनों को युवती का शव मंदिर में लटका मिला। परिजनों ने शव का अंतिम संस्कार कर दिया है। वहीं, घटना के दो दिन बाद पुलिस ने बुधवार को जांच शुरू की है। बता दें कि युवती स्नातकोत्तर की छात्रा थी। वह हापुड़ के महिला महाविद्यालय से अपनी शिक्षा ग्रहण कर रही थी।
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ग्रामीणों के अनुसार, गांव के इंद्रजीत का परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहा था। उसकी बेटी मीनू (23 वर्ष) माता की भक्ति में लीन रहती थी। उसके दिमाग में यह बात बैठ गई कि यदि वह माता के समक्ष बलि देगी तो परिवार के दुख दूर हो जाएंगे। इसी अंधविश्वास के चलते दो दिन पहले दोपहर में वह खासपुर गांव के जंगल में स्थित काली माता के मंदिर में पहुंची। यहां उसने मंदिर के कपाट बंद कर पूजा की।
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इसके बाद काली माता को खुश करने के लिए अपनी गर्दन रेती। गर्दन से निकले खून को मां की मूर्ति पर चढ़ाया और वहां रखे दीपकों में भी खून भर दिया। जिसके बाद युवती ने वहां लटके घंटे में रस्सी से फंदा बनाकर आत्महत्या कर ली। शाम तक युवती घर नहीं पहुंची तो परिजनों ने तलाश करना शुरू कर दिया। कुछ ग्रामीणों ने बताया कि युवती मंदिर में पूजा करने गई है। परिजन पहुंचे तो उन्हें मंदिर के कपाट बंद मिले। ग्रामीणों ने दरवाजा तोड़ा तो युवती का शव लटका मिला।
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बुधवार शाम पुलिस टीम के साथ जांच के लिए पहुंची। मीनू के पिता ने बताया कि बेटी कभी भी मंदिर पहुंच जाती थी। रविवार रात उसने सपने में कुछ देखा था। और सोमवार को आत्मघाती कदम उठा लिया। एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने बताया कि युवती की मौत के मामले में परिजनों ने पुलिस को सूचना क्यों नहीं दी। चर्चा है कि उसकी गला काटकर हत्या कर दी गई। बाद में उसको फांसी पर लटका दिया गया और फिर उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। अब पुलिस इस मामले की जांच करेगी।

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