Thamir Kashyap: छत्तीसगढ़ का बस्तर संभाग अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए जाना जाता है। यहां के पर्वत, पहाड़, नदी, झरने सभी का मन मोह लेते हैं। लेकिन इसके अतिरिक्त यहां नक्सली गतिविधियां भी होती हैं। आए दिन नक्सली कई जघन्य घटनाओं को अंजाम देते हैं। बारूद की गंध और गोलियों की आवाज से जाना जाने वाला बस्तर आज विकास की ओर अग्रसर है। यहां के कई प्रतिभाशील युवाओं ने अपनी कला और प्रतिभा से देश-विदेश में नाम कमाया है।
बस्तर के थमीर कश्यप( Thamir Kashyap) ने पत्रकारिता के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म(Global Investigative Journaliam) की फेलोशिप में थमीर का चयन हो गया है। इस फेलोशिप के तहत वे 19 से 22 सितंबर 2023 को स्वीडन के गोथेनबर्ग शहर में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म कान्फ्रेस 2023 में शामिल होंगे।
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बस्तर से IIMC पहुंचने वाले पहले आदिवासी
थमीर कश्यप ने कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय रायपुर से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। इसके बाद वे अपनी आगे की पढ़ाई के लिए IIMC दिल्ली चले गए। बस्तर से IIMC पहुंचने वाले थमीर पहले आदिवासी हैं। इसके बाद वे वापस छत्तीसगढ़ लौटे।
बहुत – बहुत शुक्रिया सर।🙏🙏🙏
— थमीर कश्यप (@thamir_kashyap) March 30, 2023
वे बस्तर में आदिवासियों के बीच रहकर पत्रकारिता करने लगे। वे आदिवासियों की जीवनशैली, रहन- सहन, तौर-तरीका, परंपरा इत्यादि को दुनिया के लोगों तक पहुंचाने लगे।
फेलोशिप के लिए चयनित होने पर अपनी खुशी बयां करते हुए थमीर कश्यप(Thamir Kashyap)कहते हैं, बस्तर में पत्रकारिता करते हुए दो साल हो रहे है, इतने कम समय में मैं बस्तर की माटी से स्वीडन तक पहुंच पाऊंगा कभी सोचा नहीं था। कभी हमारे बस्तर से दादा चेंदरू मंडावी (Chendru Mandavi) भी स्वीडन तक का सफर तय किए थे, जिनके ऊपर बनी डॉक्युमेंट्री को ऑस्कर पुरस्कार से नवाजा गया था। मेरा ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म (global Investigative Journalism) की फेलोशिप में चयन हो गया है। इस फेलोशिप के तहत 19 से 22 सितंबर 2023 को स्वीडन गोथेनबर्ग शहर में अयोजित ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म कान्फ्रेस 2023 में शामिल होऊंगा।