साल में केवल एक बार कुछ घंटो के लिए खुलता है निरई माता का मंदिर, कोरोना के चलते इस बार भक्त नही कर पाएंगे दर्शन
गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के पाण्डुका के अंतिम छोर में धमतरी जिले से सटा हुवा निरई माता का मंदिर दुर्गम पहाड़ियों में स्थित है। यह मंदिर साल में केवल एक बार चैत्र नवरात्रि में पड़ने वाले प्रथम रविवार के दिन कुछ घण्टो के लिये खुलता है।
यहा पर माता की कोई मूर्ति विराजमान नही है बल्कि माता निराकार रूप में पत्थर की गुफा में विराजित है। मान्यता है कि माताजी में भेंट चढ़ाने से मनोकामना पूरी होती है, तो वही कई लोग मन्नत पूरी होने पर अपनी भेंट प्रसाद चढ़ाते हैं।
स्थानीय लोगों ने बताया कि जिस दिन माता का दरबार खुलता है उस दिन को माता जात्रा के नाम से जाना जाता है तथा इस दिन मन्नत पूरा होने पर लोग बकरे की बलि भी चढ़ाते है, जात्रा के दिन लाखो की संख्या में भक्त दर्शन करने आते है साथ ही हजारो बकरों की बलि भी मन्नत पूरी होने पर भेंटस्वरूप माता में चढ़ायी जाती है।
महिलाओ का प्रवेश निषेध,नही खा सकती यहाँ का प्रसाद- पाण्डुका से 10 किमी दूर दुर्गम पहाड़ी पर स्थित माता निरई का मंदिर अंचल के देवी भक्तों की आस्था का केंद्र है,यहाँ पर बकरे की बलि की प्रथा आज भी जारी है,खास बात यह है कि इस मंदिर में महिलाओं का प्रवेश और उनका पूजा-पाठ करना करना निषेध है
पूजा की सारी रस्मे केवल पुरूष वर्ग के लोग ही निभाते है महिलाओं को यहा का प्रसाद ग्रहण करना भी वर्जित है।कहा जाता है कि यदि कोई महिला जान बूझकर प्रसाद ले ले तो कुछ ना कुछ अनहोनी जरूर हो जाती है।
अन्य मंदिरों की तुलना में यहाँ की एक और विशेष बात यह है कि जहा पूरे प्रदेश के अन्य मंदिर दिन भर खुले रहते है तो वही निरई माता का मंदिर सुबह 4 बजे लेकर 12 बजे तक यानि केवल 8 घण्टे ही माता के दर्शन के लिये खुला रहता है।