Facebook पर जिस महिला से अश्लील बाते कर रहा था पति, वो निकली पत्नी और खुल गया ‘अय्याश पति’ का राज
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के इंदौर (Indore) शहर से एक हैरतंअगेज घटना सामने आई है जिसमे इंदौर पुलिस (Indore Police) की खास ब्रांच में तैनात कॉन्स्टेबल (Constable) का उसकी ही बीवी ने स्टिंग कर दिया। 3 वर्ष पूर्व सिपाही की शादी हुई थी।
तत्पश्चात, सिपाही एवं उसके घरवाले दहेज की मांग करने लगे। पत्नी को सिपाही पति पर आरम्भ से शक था, इसलिए पति से ‘दूसरी’ महिला बनकर चैटिंग की। सिपाही पति ने ‘दूसरी’ महिला को सेक्स करने, किस करने तथा गले लगाने के लिए होटल में आने के लिए बोला।
वकील कृष्ण कुमार कुन्हारे ने कहा कि सुखलिया निवासी पीड़िता मनीषा चावंड की शादी इंदौर पुलिस की खास शाखा में पदस्थ आरक्षक सत्यम बहल निवासी पंचम की फेल से हुई थी। दोनों का विवाह 22 फरवरी 2019 को हुआ था। शादी के बाद पति सत्यम, सास आरती बहल मनीषा को गाड़ी लाने के लिए प्रताड़ित करते रहे। इतना ही नहीं पीहर वालों से फ़ोन पर बात नहीं करने देते।
यहां तक कि अखबार भी नहीं पढ़ने देते थे। इससे परेशान होकर मनीषा ने 28 नवंबर 2020 को दहेज प्रताड़ना का मुकदमा दर्ज कराया। इस मामले में पति सत्यम बहल जमानत पर छूटा है। प्रकरण अदालत में विचाराधीन है।
वही मनीषा को अपने पति सत्यम पर आरम्भ से शक था। मुकदमा दर्ज होने के बाद सत्यम स्वयं को सिंगल बताने लगा। शादीशुदा होने के बाद भी फेसबुक पर सत्यम ने स्वयं को सिंगल बताया। मनीषा ने सत्यम को पकड़ने के लिए फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी तथा फिर पति से सिंगल लड़की बनकर चैटिंग करने लगी।
सत्यम मनीषा को ‘दूसरी’ महिला समझकर चैटिंग करता रहा। सत्यम किस करने, गले लगाने, होटल में रूम लेकर सेक्स का बोलने लगा। मनीषा ने इस चैटिंग के सबूतों के साथ 6 अगस्त 2020 को पुलिस जनसुनवाई में सत्यम की शिकायत की।
पुलिस जनसुनवाई में सत्यम पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो मनीषा ने पति एवं सास को लेकर घरेलू हिंसा के तहत याचिका दायर की थी। मनीषा के इल्जामों पर जिला अदालत ने महिला एवं बाल विकास विभाग से रिपोर्ट तलब करने के बाद ससुराल के लोगों के खिलाफ घरेलू हिंसा से संरक्षण कानून में संज्ञान लेकर शिकायत दर्ज कर ली।
याचिका पर सुनवाई करते हुए जिला अदालत इंदौर की न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी सुरभि सिंह सुमनजी ने मनीषा की याचिका पर पति सत्यम बहल, सास आरती बहल घरेलू हिंसा ना करने के साथ 8 जनवरी 2020 से सात हजार रुपए प्रति माह पीड़िता को भरण पोषण स्वरूप देने का आदेश दिया। साथ ही 2 लाख रुपए दिए जाने का आदेश जारी किया।