पितृ पक्ष शुरू हो चुका हैं और यह 6 अक्टूबर तक चलेंगे। पितृ पक्ष को हमारे पूर्वजों को समर्पित माना जाता है। मान्यता है कि इन दिनों में पूर्वज धरती पर आते हैं। ऐसे में उनके वंशज तर्पण और श्राद्ध के जरिए सम्मानजनक तरीके से उन्हें भोजन और जल अर्पित करते हैं। इसलिए पितृपक्ष को पितरों के कर्ज उतारने का समय भी माना जाता है। मान्यता है कि अपने वंशजों के इस सम्मान से पितर काफी प्रसन्न होते हैं और उन्हें अपना आशीर्वाद देते हैं, जिससे उनका परिवार फलता-फूलता है।
लेकिन यदि पितृ नाराज हो जाएं, तो पूरे परिवार पर संकट आ जाता है। इससे मानसिक, शारीरिक और आर्थिक परेशानियां तो झेलनी ही पड़ती हैं, साथ ही वंश आगे बढ़ने में भी कठिनाई आती हैं। इसलिए आज हम आपको बताएंगे पितृ पक्ष में की जाने वाले कुछ ऐसे कार्यो के बारे में जिससे आपके कुल की सभी समस्याओं को दूर कर सकते हैं। इन कामों को करने से पितरों को शांति मिलती है और वे खुशी खुशी पितृलोक के लिए प्रस्थान करते हैं। यदि आप पितृ दोष जैसी समस्या से ग्रसित हैं, तो आपको ये काम जरूर करना चाहिए।
पितृ पक्ष में जरूर करें ये 5 काम
दान
पितृ पक्ष के दौरान दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसे में आप किसी गरीब को चप्पल, वस्त्र, छाता, काले तिल, गुड़, घी, नमक, चांदी, सोना, गाय आदि अपनी सामर्थ्य के अनुसार कोई भी चीज दान कर सकते हैं। मान्यता है कि वंशजों द्वारा पितृ पक्ष में किए दान से पितरों को तमाम कष्टों से मुक्ति मिलती है।
गीता का पाठ
माना जाता है कि गीता का पाठ यदि पूर्वजों के लिए पढ़ा जाए तो उन्हें नर्क की यातनाओं से मुक्ति मिल जाती है। और वे श्रीहरि के चरणों में स्थान ग्रहण करते हैं। इसलिए श्राद्ध के दिनों में गीता का दूसरा और सातवां अध्याय अपने पितरों की मुक्ति के लिए जरूर पढ़ें। यदि वे कष्टों से मुक्त होंगे।
पीपल का पौधा लगाएं
पितृ पक्ष के दौरान पीपल का पौधा लगाएं। कहा जाता है कि जैसे जैसे ये पौधा बड़ा होता है, वैसे वैसे पितरों की समस्याएं दूर हो जाती हैं। पीपल पितरों को मुक्ति दिला सकता है। यदि पौधा नहीं लगा सकते तो नियमित रूप से स्टील के लोटे में, दूध, पानी, काले तिल, शहद और जौ मिलाकर पीपल की जड़ में अर्पित करें। जल अर्पित करते समय ‘ॐ पितृभ्य: नम:’ मंत्र का जाप करें।
पितरों के निमित्त दीपक जलाएं
पितृ पक्ष के दौरान दक्षिण दिशा में पितरों के निमित्त कम से कम एक दीपक जरूर जलाएं। इसके अलावा आप पीपल के पेड़ के नीचे भी दीपक जला सकते हैं। ये दीपक भी पितरों को समर्पित किया जाता है। आपके ऐसा करने से पितरों को महसूस होता है कि उनके जाने के बाद भी आप उन्हें याद करते हैं। इससे उन्हें काफी संतुष्टि मिलती है।
तर्पण करें
आप सिर्फ अपने पितरों का ही नहीं बल्कि देव, ऋषि, दिव्य मानव, यम और पितरों के देव अर्यमा के लिए भी तर्पण करें। इसके अलावा आपके परिवार के अलावा यदि आपके माता के परिवार के लोग भी देवलोक चले गए हैं तो उनका भी श्राद्ध करें।
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