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कोरोना के बाद हो रही ये बीमारी, निकालनी पड़ रही लोगों की आंखें

भारत में अब कई कोरोना मरीजों को ठीक होने के बाद उन्हें एक खतरनाक फंगस अपनी चपेट में ले रहा हैं। बताया जा रहा है की इस फंगस के कारण मरीज की आंख निकलनी पड़ रही है वरना मरीज की जान जाने का खतरा रहता है। भारत में कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमित होने के बाद कई मरीज़ ठीक हुए लेकिन उसके बाद भी एक नई परेशानी मरीजों के सामने खड़ी हो गई जिससे अभी कई मरीजों को जूझेंना पड़ रहा हैं। इस परेशानी का नाम है म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस है। इसमें मरीज की आंख बुरी तरीके से खराब हो जाती है, और आंख को निकालना पड़ता है।

इस फंगस से जान तक जाने का खतरा रहता है. बताया जा रहा है की गुजरात के सूरत में बीते लगभग 15 दिनों में ब्लैक फंगस के 40 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। इनमें से 8 मरीजों की तो आंखें निकालनी पड़ी हैं. और दिल्ली के अस्पताल में भी इसके कई मामले देखे जा रहे हैं।

क्या है यह फंगस , कैसे पहुँचता है लोगों को नुकसान ?

गुजरात के सूरत में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बाद अब दूसरा कहर मरीजों के सामने आ रहा है। एक तरफ भारत में कोरोना मरीजों को बेड-वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की कमी से जूझना पड़ रहा है। वहीँ दूसरी और अगर वो कोरोना से ठीक हो जा रहे हैं तो उन्हें एक नई बीमारी का शिकार होना पड़ रहा है। डाक्टर इसे म्यूकोरमाइकोसिस नाम का फंगल इंफेक्शन बता रहे हैं। यह नाक और आंख के जरिये से होते हुए ब्रेन तक पहुंच जाता है और इस इंफेक्शन को फैलने से रोकने के लिए मरीजों की आंख निकालनी पड़ रही है।

सूरत के किरण हॉस्पिटल के कान एवं गला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर भाविन पटेल ने बताया की

भारत में कोरोना की दूसरी लहर में म्यूकोरमाइकोसिस के केस अधिक देखने को मिल रहे हैं।कोरोना से संक्रमित होने के बाद मरीज आंख में दर्द और सिर दर्द आदि को इग्नोर करते है। यह लापरवाही मरीजों पर भारी पड़ सकती है।

सूरत के ENT स्पेशलिस्ट डॉक्टर संकेत शाह ने कहा की 

कोरोना के ठीक होने के बाद ये फंगल इंफेक्शन पहले साइनस (नाक में ऊपर की तरफ) में होता है। इसके 2 से 4 दिन बाद यह तुरंत आंख तक पहुंच जाता है।और इसी के 24 घंटे के भीतर यह ब्रेन तक पहुंच जाता है। ऐसे में तत्काल मरीज की आंख निकलनी पड़ती है ताकि इंफेक्शन को और बढ़ने से रोका जा सके।

 कमजोर इम्युनिटी वालो पर करता है अटैक

डॉक्टरों ने बताया की, फंगल इंफेक्शन सबसे पहले कमजोर इम्युनिटी वालों पर अटैक करता है और कोरोना के कारण मरीजों की इम्युनिटी पहले ही बहुत कमजोर हो जाती है।कोरोना के इलाज के दौरान दी गई दवाइयों भी शरीर को कमजोर कर देती हैं।ऐसे में अगर मरीज डायबिटीज से पीड़ित है तो उसमें इस बीमारी के होने का चांस बढ़ जाता है।डॉक्टरों ने सलाह दी है कि सिर में असहनीय दर्द, आंख लाल होना, आंख में तेज दर्द होना और पानी गिरना, आंख का मूवमेंट न होना जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

फर्स्ट वेब के समय भी दिखे थे ब्लैक फंगस के मरीज 

पिछले साल जब कोरोना की पहली लहर आई थी, तब भी गुजरात में म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस नाम का इंफेक्शन कोरोना से ठीक हुए मरीजों में देखने को मिला था। उस वक्त इसके सबसे ज्यादा मामले अहमदाबाद में देखे गए थे।अहमदाबाद के बाद इसके केस वडोदरा में सामने आए थे।

पिछले साल गुजरात में म्यूकोरमाइकोसिस के तकरीबन 51 मामले सामने आए थे।तब भी डॉक्टरों ने डायबीटीज, ब्लड कैंसर वाले मरीजों और जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है।उन्हें खास हिदायत दी थी।

दिल्ली के गंगाराम अस्पताल के डॉक्टर कहते हैं की 

दिल्ली में ENT सर्जन डॉ. मनीष मुंजाल ने कहा की कि राजधानी में भी म्यूकोरमाइकोसिस के मामले देखे जा रहे हैं। दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में ही पिछले दो दिनों में ऐसे 6 केस सामने आ चुके हैं।

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