ERIS Covid Variant: यूके में हाल में बढ़े कोरोना संक्रमण के मामलों के लिए नए वैरिएंट एरिस (EG.5.1) को प्रमुख कारण माना जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे ‘वैरिएंट ऑफ ऑफ इंटरेस्ट’ के रूप में वर्गीकृत किया है। इस नए वैरिएंट की प्रकृति को समझने के लिए अध्ययन जारी है, फिलहाल इसे गंभीर रोगकारक नहीं माना जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि भारत में भी इस वैरिएंट के मामले देखे जा चुके हैं, जिसको लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को अलर्ट रहने की सलाह देते हैं। क्या वास्तव में यह वैरिएंट बड़े खतरे का कारण बन सकता है? मौजूदा संदर्भ को देखते हुए यह बड़ा प्रश्न बना हुआ है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, नए वैरिएंट की प्रकृति गंभीर रोगकारक नहीं है, हालांकि इसमें कुछ अतिरिक्त म्यूटेशन जरूर देखे गए है, जिसके कारण इसकी संक्रामकता को लेकर चिंता जताई जा रही है। प्रारंभिक शोध से पता चलता है कि यह तेजी से लोगों में संक्रमण बढ़ाने का कारण हो सकता है।यह ओमिक्रॉन वैरिएंट का ही एक उप-प्रकार है, ऐसे में इसके कारण गंभीर रोग और अस्पताल में भर्ती होने की आशंका कम है।
भारत में चिंता का जरूरत नहीं
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने नए वैरिएंट के जोखिमों को लेकर आश्वासन दिया कि भारत को कोविड-19 के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है। मंडाविया ने कहा कि सरकार नए वैरिएंट के खतरे को ध्यान में रखते हुए जीनोम सीक्वेंसिंग पर जोर दे रही है। देश में कोरोना संक्रमण का जोखिम तो कम है, पर संक्रमण की रोकथाम और बचाव को लेकर सभी लोगों को लगातार सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है।
‘एरिस’ (Eris) वायरस के लक्षण (Symptoms of ‘Eris’ virus)
कोविड-19 के पुराने वेरिएंट्स की तरह ही नए वेरिएंट के लक्षणों में भी गले में खराश, नाक बहना, बंद नाक, छींक आना, खांसी और सिरदर्द की समस्या रहती है। हालांकि इस बार सांस लेने में दिक्कत, ऑक्सीजन की कमी होने जैसी समस्याएं कम देखने को मिली हैं।
‘एरिस’ (Eris) वेरिएंट से बचाव के तरीके
कोरोना की वैक्सीन लगवाएं और अपने हाथों को साबुन या सेनिटाइजर की मदद से साफ रखें। इसके अलावा बाजार, मॉल जैसे भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचें। बच्चों, बुजुर्गों और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों का खास ख्याल रखें। घर से बाहर निकलने पर मास्क का प्रयोग करें और हाथों से बार-बार चेहरे को न छुएं।
कोरोना के नए वेरिएंट का इलाज
कोविड के पुराने वेरिएंट्स की तरह ही ‘एरिस’ वेरिएंट में भी इलाज के दौरान घर में आसोलेशन में रहना होगा और खानपान का खास ख्याल रखना होगा। बुखार आने पर डॉक्टर के परामर्श पर पैरासिटामॉल और एंटी-एलर्जिक दवाइयां ले सकते हैं। इसके अलावा मास्क पहनकर रहें और जब तक रिपोर्ट नेगेटिव न आ जाए तब तक दूसरों से मिलने से बचें।