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आज ताड़मेटला की बरसी, 76 जवान हुए थे शहीद
6 अप्रैल 2010 को छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने सुरक्षा बल के जवानों पर अब तक का सबसे बड़ा हमला किया था। दंतेवाड़ा जिले के ताड़मेटला में नक्सलियों ने एंबुश लगाकर सीआरपीएफ के 76 जवानों को अपना निशाना बनाया था। इस हमले को दस साल पूरे हो चुके हैं।
ये हमला दंतेवाड़ा जिले के चिंतागुफा थाना के अंतर्गत ताड़मेटला के दुर्गम इलाके में 62 वी वाहनी की एक टुकड़ी पर किया था। इस हमले में दो राजपत्रित अधिकारी सहित 76 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले का मास्टर माइंड दण्डकारण्य स्पेशल जोन कमेटी का कमाण्डर श्रीनिवास रावुला रमन्ना था जिसकी पुलिस रिकार्ड के अनुसार 2017 में मौत हो गई।

नक्सलियों ने घात लगाकर सीआरपीएफ की 62 कंपनी पर हमला किया और जवानों को संभलने का मौका तक नहीं मिला। नक्सली गर्मी के मौसम में टेक्टिकल काउंटर अफेंसिव कैंपेन (टीसीओसी) चलाते हैं। इस दौरान जंगल में पतझड़ का मौसम होता है, जिससे दूर तक देख पाना संभव होता है। नदी-नाले सूखने के कारण एक जगह से दूसरी जगह जाना भी आसान होता है।
खुले मैदान में घिरे थे जवान
चिंतलनार कैंप से करीब पांच किमी दूर ताड़मेटला गांव के पास गश्त कर रहे सीआरपीएफ के जवान नक्सलियों के झांसे में आकर जंगल के अंदर घुसे थे। वहां पेड़ों के पीछे नक्सलियों ने मोर्चा बना रखा था, जबकि जवान खुले मैदान में जाकर फंस गए। सुबह छह बजे शुरू हुई यह मुठभेड़ मुश्किल से एक घंटे ही चली थी। घायल जवान जब वायरलेस सेट पर पानी-पानी चीख रहे थे, तो चिंतलनार थाने के एक हवलदार से रहा न गया। वह बख्तरबंद गाड़ी में पानी लेकर निकला। नक्सलियों ने वाहन को ब्लास्ट से उड़ा दिया। घटना के बाद पांच घायल ही बच पाए। बाकी सभी शहीद हो चुके थे।
