टीएस बाबा कमजोर नेता, उनको भाजपा में लाने का कोई फायदा नहींः रेणुका सिंह
हेमंत विश्व शर्मा, शिवसेना फाड़ फार्मूला से भाजपा नेताओं को ऐतराज
रायपुर (द गुप्तचर)। केन्द्रीय मंंत्री रेणुका सिंह ने सरगुजा राजपरिवार के सदस्य टीएस बाबा पर हमला करते हुए कहा कि टीएस बाबा एक कमजोर नेता हैं उन्हें भाजपा में लाने का कोई फायदा नहीं है।
वास्तव में टीएस सिंह देव वर्तमान में छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य मंत्री हैं इससे पूर्व उन्हें ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री फार्मुले पर मनाया गया था । टीएस बाबा को ही चुनाव से पहले 36 जनघोषणा पत्र बनाने का दायित्व मिला था और सरकार बनी लेकिन कांग्रेस के अंदर के अंतर्विरोध के कारण यह फार्मूला सफल नहीं हो पाया है। इसके बाद भी टीएस सिंहदेव ने न तो मुखर विरोध किया और न ही अपनी बात ही आलाकमान को समझाने में सफल हो पाए। पिछले दिनों उन्होंने इस बात का इशारा भी किया कि चुनाव भूपेश बघेल के ही नेतृत्व में लड़ा जाएगा। कल कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को सबसे अच्छा जनहित कार्य करने वाले नेता के रूप में निरूपित किया। ऐसे स्थिति में टीएस बाबा की स्थिति राजनीतिक दृष्टि से कमजोर साबित होती है।
आज एक अखबार से बातचीत में केन्द्रीय मंत्री रेणुका सिंह ने टीएस बाबा के भाजपा प्रवेश पर कहा कि बाबा एक कमजोर नेता हैं उन्हें भाजपा में लाने से कोई फायदा नहीं है।
वास्तव में रेणुका सिंह के बयान दो मायने हैं। पहला कि भाजपा का स्थानीय कैडर किसी कांग्रेसी नेता को मुख्यमंत्री के तौर पर स्वीकार नहीं करेगा। दूसरा वे सरगुजा संभाग में दो शक्ति केन्द्र नहीं चाहती हैं। खुद रेणुका सिंह भी जशपुर से हैं और वे भी मुख्यमंत्री की संभावित कैंडिडेट मानी जाती हैं। वैसे किसको भाजपा में लाना है, किसको नहीं यह भाजपा प्रमुख तय करते हैं जिसमें स्थानीय नेताओं की नहीं चलती है। इसके उदाहरण में हेमंत विश्व शर्मा और महाराष्ट्र के शिवसेना विभाजन को लिया जा सकता है फिर भी स्थानीय भाजपा कैडर ने रेणुका सिंह के बहाने अपनी मंशा जाहिर कर दी है कि उन्हें किसी कांग्रेस नेता को मुख्यमंत्री स्वीकार नहीं है।
अपने बयान में उन्होेने यह भी जोड़ा कि, टीएस बाबा ने जनता से जो वादा किया था, उससे पीछा छुड़ाना चाहते हैं। कांग्रेस के 36 जन घोषणापत्र को टीएस सिंहदेव के नेतृत्व में ही तैयार किया गया था। वे चुनाव नहीं लड़ना नहीं चाह रहे हैं। अब जब चुनाव क्षेत्र में जाएंगे, तो जनता उन्हें बख्शने वाली नहीं है।
इसलिए वो इस तरह की बातें कर रहे हैं। एक कमजोर नेता को भाजपा में लाने का कोई फायदा नहीं है। चुनाव के समय कहा था कि सीएम का चेहरा हूं, इसलिए जनता प्रभावित हो गई। वे खुद कमजोर नेता सिद्ध हुए हैं, उन्हें भाजपा में लाने का सवाल ही नहीं उठता है।