बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में बिलासपुर जिले के तालापारा में दुर्गा प्रतिमा लेकर विसर्जन के लिए निकली महिलाओं के डीजे को सिविल लाइन पुलिस ने जब्त कर लिया। इससे महिलाएं आक्रोशित हो गई। उन्होंने पुलिस पर पक्षपात करने का आरोप लगाया दुर्गा प्रतिमा लेकर थाने पहुंच गई। वे सभी डीजे वाहन को छोड़ने की जिद पर अड़े रहे। आखिर में, टीआई शनिप रात्रे ने महिलाओं को समझाइश दी और उन्हें कम आवाज में बजाने की शर्त पर डीजे वापस कर दिया।
जानकारी के मुताबिक, तालापारा नूरानी मस्जिद के पीछे महिला आरोग्य समिति के सदस्य व युवक और समस्त मोहल्ले वासी दुर्गा प्रतिमा विसर्जित करने के लिए निकले थे। महिलाएं डीजे की धुन पर थिरकतीं हुई जा रही थी।अचानक महिलाओं की टीम को देखकर पुलिस वहां पहुंच गई। पुलिस ने मगरपारा चौक पर महिलाओं का डीजे वाहन जब्त कर लिया। फिर पुलिस थाने आ गई। महिलाएं भी पीछे-पीछे दुर्गा प्रतिमा लेकर पुलिस थाने पहुंच गई। महिलाओं की भीड़ इस दौरान डीजे वाहन को छोड़ने की जिद पर अड़ी रहीं।
महिलाएं थाने में ही बैठ गई धरने पर
जब थाने में महिलाओं की सुनवाई नहीं की गई तो उन्होंने सीएसपी मंजूलता बाज से मांग की। मगर, उन्होंने भी मामले की जांच करने की बात कह दी। फिर महिलाएं भड़क उठीं और दुर्गा प्रतिमा के साथ थाने परिसर में ही सभी की सभी धरने पर बैठ गई। नाराज महिलाओं का यह कहना था कि जब पूरे शहर में बड़े बड़े पावरजोन डीजे बज रहे हैं तो पुलिस उनके ही डीजे को जब्त कर क्यों ले आई है। अगर पुलिस नियम की बात करती है तो उसे पूरे शहर में डीजे बंद कराने चाहिए।
असल में, प्रशासन ने रविवार रात 10 बजे के बाद डीजे बजाने पर प्रतिबंध लगाया था। दशहरा उत्सव के दूसरे दिन शनिवार शाम से लेकर रविवार सुबह रात तक दुर्गा प्रतिमा विसर्जित करने का दौर चला। इस बीच शहर में पूरी रात जगह-जगह तेज आवाज लगाकर डीजे की धुन पर युवक नाचते रहे। वहीं, शनिवार को डीजे उपलब्ध नहीं हो पाने की वजह से कई जगहों पर रविवार की शाम से लेकर देर रात तक दुर्गा प्रतिमा विसर्जन का दौर चला।
ड्रोन से निगरानी करने का किया था दावा
दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान पुलिस अफसरों ने शनिवार को आधा दर्जन से अधिक ड्रोन की व्यवस्था करने का दावा किया था। इस वक्त शहर में पूरी रात दुर्गा प्रतिमा विसर्जन का दौर चलता रहा। जगह-जगह डीजे बजते रहे। लोग थिरकते रहे। रविवार को पुलिस दिखावे की कार्रवाई करती नजर आई। पुलिस ने ड्रोन से ऐसी निगरानी की कि चाकूबाजी जैसी घटनाएं हो गई और हमलावर फरार भी हो गए।
आदेशों की उड़ी धज्जियां
असल में, शहर में डीजे उपलब्ध नहीं होने की वजह से आयोजक अपनी सुविधानुसार कार्यक्रम का आयोजन करते हैं। पुलिस अफसर व थानेदारों की निष्क्रियता के कारण ऐसे तत्वों पर बिल्कुल सख्ती नहीं बरती जा रही है। पुलिस प्रशासन को दुर्गा प्रतिमा विसर्जित करने के लिए पहले से ही दुर्गोत्सव समितियों के पदाधिकारियों की बैठक लेकर उन्हें हिदायत देनी चाहिए थी। मगर अचानक रविवार को डीजे बैन का आदेश जारी कर दिया गया।
Back to top button