बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में बिलासपुर के केंद्रीय जेल परिसर के गोशाला में एक कैदी शनिवार की शाम जेल प्रहरियों को चकमा देकर जेल से भाग गया। जब तक जेल प्रहरियों को इसकी खबर लगी, तब तक वह परिसर से बहुत दूर निकल चुका था।
जब कर्मचारियों को इस बात का पता चला तो उन्होंने पहले अपने स्तर पर आसपास पता किया। इसके बाद जब वह नहीं मिला तो जेल प्रबंधन को सूचना दी गई। लगभग ढाई घंटे के बाद पुलिस को इस घटना की सूचना दी गई। पुलिस ने कैदी के खिलाफ केस दर्ज कर उसकी तलाश में जुट गई है।
बिलासपुर के केंद्रीय जेल के बैरक के बाहर परिसर में गोशाला स्थित है। यहां शनिवार को जेल कैदियों से काम करवाया जा रहा था। कैदी सत्यम दास महंत (30 साल) से जेल में रहते हुए पेंटिंग प्रशिक्षण प्राप्त कर चुका है और अब वह पेंटर बन गया था। इसलिए गोशाला में जेल अधीक्षक आरआर राय के निर्देश पर उससे पेंटिंग करवाई जा रही थी।
इस दौरान सत्यम के ऊपर भरोसा करके जेल प्रहरी और उनकी देखरेख करने वाले लंबरदार इधर-उधर व्यस्त हो गए। ठीक उसी समय मौका पाकर सत्यम दास उन्हें चकमा देकर फरार हो गया। बता दें कि कोर्ट ने सत्यम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके बाद से ही वह जेल में कैद था।
प्रहरियों को लगा जेल में है बंद
करीब 6 बजे जेल के प्रहरियों को पता चला की सत्यम दास नहीं है। इसपर उन्हें लगा कि वह जेल के अंदर चला गया होगा। इस पर जेल गेट में आकर पूछताछ की गई। किंतु वह अंदर गया ही नहीं था। तब प्रहरियों ने आसपास उसकी तलाश की। वे सभी करीब आधे घंटे तक इधर-उधर उसकी खोजबीन करते रहे। कहीं पता नहीं चलने पर उसके फरार होने की सूचना जेल अधीक्षक सहित अन्य अधिकारियों को दी गई।
कैदी के जेल से भागने की खबर सुनकर सुनकर जेल अफसरों के होश उड़ गए। उन्होंने जेल प्रहरियों को उसे ढूंढने के निर्देश दिए। करीब ढाई घंटे तक जेल प्रबंधन अपने स्तर पर ही उसकी खोजबीन में लगे रहे। लेकिन सत्यम दास उन्हें नहीं मिला। तब उन्होंने इस घटना की शिकायत सिविल लाइन थाने में की।
पांच साल से जेल में कैद
सत्यम दास मूल रूप से रायगढ़ जिले के छाल के महंतपारा का रहने वाला था। वह वर्ष 2014 से रायगढ़ जेल में बंद था। वह नाबालिग लड़की को अपने दोस्तों के साथ जबरिया भगाकर ले गया था। उसके खिलाफ धारा 363, 366, 368, 34 व पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था। 15 फरवरी 2016 को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। फिर उसे बिलासपुर केंद्रीय जेल शिफ्ट किया गया। वह 21 फरवरी 2016 से केंद्रीय जेल में सजा काट रहा था। अब पुलिस उसके संभावित ठिकानों की जानकारी इकट्ठा कर उसकी पतासाजी कर रही है।
पेंटिंग कर जीत लिया भरोसा
कहा जा रहा है कि सत्यम दास जेल में रहते हुए पेंटिंग सीख रहा था। धीरे-धीरे कर कुछ ही दिनों में वह पेंटिंग की कला में पारंगत हो गया। जेल में उसने कई आकर्षक पेंटिंग बनाकर जेल अफसरों का भरोसा जीत लिया था। यही कारण है कि जेल प्रबंधन उससे जेल के बाहर भी काम ले रहा था।
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