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करवा चौथ पर 16 श्रृंगार जरूरी… बिना इसके पूजा नहीं होती पूरी, एक-एक गहने का जानें महत्व

सतना. करवा चौथ का व्रत बहुत ही कठिन होता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र और उत्तम स्वास्थ्य के लिए निर्जला व्रत रहती हैं, लेकिन इस व्रत में 16 श्रृंगार का भी विशेष महत्व है. शाम को श्रृंगार के बाद ही व्रती महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करती हैं. मान्यता है कि श्रृंगार करने से करवा माता प्रसन्न होती हैं.

सतना मां संतोषी मंदिर में नित्य पूजन करने वाली रेखा शुक्ला ने बताया कि 16 श्रृंगार का तात्पर्य श्रृंगार की 16 वस्तुओं से है. जिनके धारण से सुहागिन महिलाओं का अलंकार पूर्ण होता है. यह श्रृंगार अखंड सौभाग्यवती रहने का अभय वरदान प्रदान करवाता है. इनसे जुड़ी धार्मिक मान्यताएं भी हैं, जिनमें कई ग्रहों से दोष मुक्ति की बातें कही जाती हैं

16 श्रृंगार और इनका महत्व

1. मांग का सिंदूर: सुहागवती महिलाओं का पहला और महत्वपूर्ण श्रृंगार सिंदूर होता है. यही सुहाग की पहली पहचान होती है. मान्यता है कि इसे लगाने से पति की आयु में वृद्धि होती है.

2. बिंदी: सुहागिन कुमकुम की बिंदी पवित्र और गुरु के बल को बढ़ाने वाली मानी जाती है, जिसे माथे में लगाया जाता है.

3. काजल: काजल न सिर्फ आंखों की सुंदरता बढ़ाता है, बल्कि मंगल दोष से मुक्ति दिलाता है.

4. मेहंदी: हाथों की सुंदरता बढ़ाने वाली मेहंदी न सिर्फ सुंदरता बढ़ाती है, बल्कि काफी शुभ मानी जाती है. इससे पति के प्रेम में बढ़ोतरी होती है.

5. चूड़ियां: लाल हरी चूड़ियां सुहाग, खुशहाली और समृद्धि की प्रतीक होती हैं.

6. मंगलसूत्र: पति-पत्नी को रिश्ते में बांधने वाला मंगलसूत्र काफी पवित्र माना जाता है. इसके काले मोती बुरी नजर से रक्षा करते हैं.

7. नथ: यह नाक में पहनी जाती है. काफी शुभ होती है. इसके धारण करने से बुध का दोष दूर होता है. यह सोने, चांदी या फिर लॉन्ग द्वारा नाक में धारण होती है.

8. गजरा: बालों के पीछे सुगंध और सुंदरता के लिए पहना जाता है.

9. बेंदी: यह माथे में मांग के बीचो बीच पहनी जाती है. यह सौम्यता, सरलता और पवित्रता का प्रतीक है.

10. झुमके: झुमका, बाली या कुंडल सोने के आभूषण होते हैं. इनके धारण मात्र से राहु और केतु दोष दूर होता है. इन्हें ससुराल की बुराई न सुनने और कहने का साधन भी माना जाता है. इसे धारण करना काफी पवित्र माना गया है.

11. बाजूबंद: ये सोने या चांदी का सुंदर सा कड़े की आकृति का जेवर होता है, जो बाजू में पहना जाता है. इससे परिवार के धन और समृद्धि की रक्षा होती है.

12. कमरबंद: इसे तगड़ी भी कहा जाता है. यह कमर में पहना जाता है. यह इस बात का प्रतीक है कि सुहागिन अपने घर की मालकिन है.

13. बिछिया: बिछिया या बिच्छू यह पैर की उंगलियों में पहनी जाती है. यह शनि और सूर्य दोष से मुक्ति दिलाती है. यह महिलाओं के आगे बढ़ने और साहस का प्रतीक भी मानी जाती है.

14. पायल: पैरों की शोभा बढ़ाने वाली पायल चांदी की होती है.

15. अंगूठी: यह विवाहित पुरुष या स्त्री का प्रतीक चिन्ह है. मंगनी के दौरान पति-पत्नी एक दूसरे को पहनाते हैं.

16. स्नान: श्रृंगारों का प्रथम चरण है स्नान. कोई भी श्रृंगार करने से पूर्व नियम पूर्वक स्नान करते हैं. स्नान में शिकाकाई, भृंगराज, आंवला, उबटन और अन्य कई सामग्रियां मिलाते हैं. तब वस्त्र धारण करते हैं. दुल्हन हैं तो लाल रंग का लहंगा पहनती हैं, जिसमें हरे और पीले रंग का उपयोग भी होता.

नोट: मान्यता के अनुसार इस प्रकार इन 16 श्रृंगार से एक सुहागिन को तैयार हो कर पूजा करनी चाहिए, इससे न सिर्फ़ अनुष्ठान पूर्ण होता है, बल्कि दांपत्य जीवन में मधुरता आती है.

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