गुप्तचर विशेष

आज दिन और रात होंगे बराबर, कल से तिल-तिलकर छोटे होंगे दिन, जानिए ऐसा क्यों होता है?

खगोलीय नजरिए से आज मतलब 23 सितंबर का दिन विशेष है। आज दिन और रात बराबर होंगे। हर साल 23 सितंबर को संयोग की यह घटना होती है। इस दिन सूर्य विषुवत रेखा पर लंबवत रहता है जिसे शरद संपात कहा जाता है। 23 सितंबर को सूर्य उत्तर गोलार्ध से दक्षिणी गोलार्ध में प्रवेश कर रहा है। जिसके के साथ अब दिन छोटे और रातें बड़ी होने लगेंगी।
खगोल शास्त्रियों के मुताबिक सूर्य के दक्षिणी गोलार्ध में प्रवेश के कारण मौसम पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। खासतौर पर उत्तरी गोलार्ध में इसका सबसे ज्यादा असर होगा। अब यहां दिन छोटे और रातें बड़ी होगी। सूर्य के दक्षिणी गोलार्ध में प्रवेश के बाद उत्तरी गोलार्ध में सूर्य किरणों की तीव्रता कम होने लगती है। जिसे शरद ऋतु का प्रारंभ भी माना जाता है। मौसम का यह क्रम 22 दिसंबर तक चलेगा।
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उज्जैन की वेधशाला में ग्रहों का यह नजारा देखा जा सकता है। कालगणना की दृष्टि से दुनियाभर में उज्जैन का विशेष महत्व है। सदियों से यहां ग्रहों—नक्षत्रों की चाल आदि की गणना की जाती रही है। और इसे ही प्रमाणिक माना जाता रहा है। यहां लगे प्राचीन यंत्रों के माध्यम से सूर्य और चंद्र सहित सभी ग्रहों की चल, ग्रहण आदि के समय की गणना की जाती है।
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जयपुर के राजा जयसिंह ने देश के जिन 5 शहरों में वेधशालाओं का निर्माण कराया था। उनमें उज्जैन भी शामिल है। यहां की वेधशाला सन 1719 में बनाई गई थी। वेधशाला के यंत्र आज भी काम कर रहे हैं। यहां सम्राट यंत्र, नाड़ी वलय यंत्र, भित्ति यंत्र, दिगंश यंत्र, शंकु यंत्र आदि उपकरणों के माध्यम से खगोल शास्त्र के कई रहष्य सुलझाने का काम आज भी चल रहा है।
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वेधशाला में रखे अद्भुत नाड़ी वलय यंत्र के माध्यम से हम प्रत्यक्ष रूप से देख सकते हैं कि सूर्य, पृथ्वी के किस गोलार्द्ध में है। विषुवत वृत्त के धरातल में निर्मित इस यंत्र के दो भाग हैं— उत्तर और दक्षिण । 22 मार्च से 22 सितंबर तक के छः माह में जब सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध में रहता है तब यंत्र का उत्तरी गोल भाग प्रकाशित रहता है और 24 सितंबर से 20 मार्च तक के छः माह में जब सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध में रहता है तब दक्षिणी गोल भाग प्रकाशित रहता है।
23 सितंबर को दिन और रात बराबर अर्थात् 12-12 घण्टे के होंगे। इसके अगले दिन यानी शुक्रवार 24 सितम्बर से सूर्य दक्षिणायन हो जाएगा। सूर्य के दक्षिणायन होने से चूंकि उसकी किरणें पृथ्वी के हमारी तरफ के भाग पर तिरछी होंगी, इसलिए दिन तिल-तिलकर छोटा होने लगेगा और रात बड़ी होने लगेगी।

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