कोरोना से मौत होने पर राज्य सरकार की ओर से दिए जा रहे मुआवजे का नियम अब बदल दिया गया है। बदले गए नियम के अनुसार अब मुआवजे का दावा करने के लिए CDAC (कोविड डेथ ऑडिट कमेटी) से जारी किए जाने वाले कोरोना से मृत्यु लिखे गए प्रमाणपत्र की अनिवार्यता नहीं होगी। नए नियमों के अनुसार, किसी भी व्यक्ति की कोरोना पॉजिटिव पाए जाने से 30 दिनों के भीतर हुई मौत को कोरोना से मौत माना जाएगा। बता दें कि कोरोना से मौत हुई है या नहीं इसका निर्धारण जांच रिपोर्ट और इलाज के दस्तावेजों के आधार पर किया जाएगा।
जानकारी के मुताबिक, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की सचिव रीता शांडिल्य ने शुक्रवार शाम को दो विभिन्न दिशा-निर्देश जारी किए। पहले निर्देश के अनुसार, 24 सितम्बर को जारी किए गए निर्देश में वाक्य “आवेदक के पास CDAC द्वारा जारी कोविड-19 से मृत्यु के संबंधित आधिकारिक प्रमाणपत्र होना अनिवार्य है’ को अब हटा दिया गया है। यहां तक कि आवेदन के प्रारूप में CDAC से जारी कोविड-19 से मृत्यु संबंधी प्रमाणपत्र को भी अब हटा लिया गया है।
गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय की ओर से राजस्व सचिव के दूसरे पत्र में मुआवजे के संदर्भ में दिशानिर्देश जारी कर दिए गए हैं। इसके मुताबिक मृतक के परिजनों को मुआवजा देने से इस आधार पर मना नहीं किया जा सकता कि सक्षम प्राधिकारी की ओर से जारी किए जाने वाले मृत्यु प्रमाणपत्र में मृत्यु की वजह कोरोना नहीं बताया गया है। अगर कोरोना जांच की तारीख या फिर पॉजिटिव रिपोर्ट आने की तारीख से 30 दिनों के भीतर किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो उसे कोरोना से मौत माना जाएगा। वहीं यदि कोई मरीज किसी अस्पताल या कोविड केयर सेंटर में 30 दिनों से अधिक वक्त तक भर्ती रहा हो और किंतु उसके बाद भी उसकी मौत हो गई हो तो उसे भी कोरोना से हुई मौत मान ली जाएगी।
आत्महत्या के मामलों में भी मुआवजा
राज्य सरकार की ओर से जारी किए गए नए दिशा निर्देशों के अनुसार कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के 30 दिनों के अंदर अगर किसी व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली है तो उसे भी कोरोना से मृत्यु माना जाएगा। ऐसे व्यक्तियों के परिजनों को भी मुआवजा की राशि प्रदान की जाएगी।
पहले से जारी मृत्यु प्रमाणपत्र में होगा बदलाव
अभी के नए दिशा निर्देशों में कहा गया है कि पहले से जारी किए गए मृत्यु प्रमाणपत्र में लिखे मृत्यु के कारण से अगर परिवार का कोई सदस्य संतुष्ट नहीं है तो वह प्रमाणपत्र जारी करने वाले अधिकारी या पंजीयक से संपर्क कर सकता है। प्राधिकारी जांच और उपचार के कागजातों के आधार पर ही मृत्यु प्रमाणपत्र को संशोधित करेंगे।
कोरोना से मौत पर परिजनों को मिलेगा 50 हजार का मुआवजा
सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के पश्चात कोरोना से मौत पर परिजनों को 50 हजार रुपए का मुआवजा देने की घोषणा की है। यह मुआवजा राज्य आपदा मोचन निधि से दी जाएगी। सरकार ने इसके लिए आवेदन मंगाए हैं। बता दें कि यह आवेदन कलेक्ट्रेट में जमा हो रहे हैं। वहीं, आवेदन के 30 दिनों के भीतर मुआवजा जारी करने का भी प्रावधान है।
मृत्यु प्रमाणीकरण से कोई भी शिकायत, तो अपील करने की सुविधा
नए निर्देशों के अनुसार, मृत्यु प्रमाणीकरण संबंधी शिकायत की अपील सुनने हेतु जिला स्तर पर एक समिति का गठन किया जाएगा। इसमें अतिरिक्त जिला कलेक्टर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, जिले में अगर कोई भी मेडिकल कॉलेज हो तो उसमें मेडिसिन विभाग के प्रमुख और एक विषय विशेषज्ञ होंगे। यहां तक कि नगर निगम क्षेत्र में भी ऐसी ही एक समिति बनाई जाएगी, जो सभी दस्तावेजों का परीक्षण कर कोरोना से मृत्यु संबंधी आधिकारिक प्रमाणपत्र जारी करने का कार्य करेगी।
मुआवजा न मिलने पर कर सकेंगे शिकायत
यदि किन्ही परिजन द्वारा आवेदन करने के बाद भी उन्हें मुआवजा नहीं मिलता है तो वे इसकी शिकायत एक समिति से कर सकेंगे। शिकायत निवारण समिति पहले मृतक से जुड़े दस्तावेजों का परीक्षण करेगी उसके पश्चात ही कोई फैसला करेगी। बता दें कि यह फैसला 30 दिनों के भीतर करना होगा।
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