भारत के पूर्वी सीमा पर गालवान में हुई झड़प के बाद भारत में आने वाले चीनी निवेश प्रवाह पर शिकंजा कस दिया गया है और कई चीनी ऐप्स पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसको लेकर बीजिंग का कहना है कि ये कार्रवाई विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के लोकाचार और नियमों के खिलाफ है।
हालाँकि चीन के साथ भारत के व्यापारिक सम्बन्ध सुधर रहे हैं। इन सब के बीच वाणिज्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने चीन काे लेकर FDI पर भारत का रुख साफ किया। उन्हाेंने यह भी कहा कि चीन के सभी निवेशों को प्रक्रियाओं और सरकारी मंजूरी मार्ग का पालन करना होगा, केवल उन निवेशों को मंजूरी दी जाएगी जो भारतीय सुरक्षा हितों पर कोई प्रभाव नहीं डालते हैं। कोई भी चीनी कंपनी जो संभावित रूप से भारत की सुरक्षा पर प्रतिबंध लगाती है, उसे मंजूरी नहीं दी जाएगी। इसके साथ ही वाणिज्य मंत्रालय के सूत्रों ने हाल की उन मीडिया रिपोर्टों को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया है कि सीमा पर तनाव को कम करने के साथ, भारत ने विभिन्न चीनी एफडीआई को मंजूरी दी है और कई पाइपलाइन में हैं। मालूम हाे देश में चीन के कुल 12000 करोड़ रुपए के एफडीआई प्रस्ताव लंबित पड़े हैं।
हालांकि, सरकारी सूत्रों का कहना है कि तीन प्रस्ताव, जो हाल ही में मंजूरी दे दिए गए हैं, हांगकांग में आधारित हैं और एक जापानी मूल की कंपनी है; वे सभी सुरक्षा मापदंडाे में खरे उतरे जिसके बाद उन्हें मंजूरी दे दी है।
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