आमडीह में गूंजा ‘हरि नाम’, श्री गर्भदास जी महाराज की वाणी से भावविभोर हुए श्रद्धालु…

अतुल द्विवेदी/शहडोल: शहडोल जिला के ग्राम पंचायत आमडीह में आयोजित संगीतमय श्रीमद्भागवत महापुराण ज्ञान महायज्ञ का समापन अत्यंत भक्ति, श्रद्धा और उल्लासपूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ। इस सात दिवसीय धार्मिक आयोजन में प्रतिदिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती रही। दूर-दराज़ से आए भक्तों ने कथा श्रवण कर पुण्य लाभ अर्जित किया और पूरे क्षेत्र में धर्ममय वातावरण बना रहा।
श्रीमद्भागवत कथा का रसपान कथाव्यास श्री गर्भदास जी महाराज (सीतारामदास) के मुखारविंद से कराया गया। महाराज श्री की ओजस्वी वाणी, सरल भाषा और भावपूर्ण शैली ने श्रोताओं को अंत तक कथा से जोड़े रखा। उन्होंने श्रीमद्भागवत के गूढ़ तत्वों को अत्यंत सहज उदाहरणों के माध्यम से प्रस्तुत किया, जिससे सामान्य जन भी कथा का भाव समझ सके। महाराज जी के प्रवचनों ने श्रद्धालुओं के हृदय को छू लिया और सभी भक्ति रस में सराबोर हो गए।
प्रवचन में श्री गर्भदास जी महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा मानव जीवन को सही दिशा देने वाली अमूल्य धरोहर है। भक्ति, सेवा, सत्य और प्रेम को अपनाकर ही जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है। उनके प्रेरणादायी संदेशों से श्रद्धालुओं में धर्म के प्रति और अधिक आस्था जागृत हुई।

कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं, माखन चोरी, गोवर्धन पूजा, रास लीला, रुक्मिणी विवाह, सुदामा चरित्र एवं फूलों की होली जैसे प्रसंगों का सजीव वर्णन किया गया। भजन, कीर्तन और संगीतमय प्रस्तुति ने पूरे पंडाल को भक्तिमय बना दिया। कई बार कथा के दौरान श्रद्धालु भाव-विभोर होकर झूमते और जयकारे लगाते नजर आए।
आयोजन के प्रत्येक दिन महिलाओं, पुरुषों, युवाओं और बुजुर्गों की बड़ी सहभागिता रही। श्रद्धालु समय से पहले ही कथा स्थल पर पहुंच जाते थे। आयोजन समिति द्वारा बैठने, पेयजल और अन्य आवश्यक सुविधाओं की अच्छी व्यवस्था की गई, जिससे सभी को सुविधा पूर्वक कथा श्रवण का अवसर मिला।
कथा के समापन अवसर पर विधि-विधान से हवन, पूर्णाहुति एवं विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। भंडारे में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। सेवा कार्य में लगे स्वयंसेवकों ने पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ अपनी भूमिका निभाई। आयोजन समिति एवं ग्रामवासियों के सहयोग से कार्यक्रम शांतिपूर्ण और सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
