जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सलियों ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के किडनैप किए गए प्यून को 12 नवंबर की देर शाम को छोड़ दिया। इसके बाद प्यून लक्ष्मण प्रतागिरी सीधे जिला मुख्यालय में अपने परिवार के बीच पहुंचा लेकिन इसके बाद भी वह बहुत डरा हुआ है।
उसने मीडिया को बताया कि नक्सलियों ने रात को करीब 8:30 बजे उसे लौकी की सब्जी और भात (चावल) खिलाया। वे उसकी आंखों में पट्टी बांध कर यहां वहां घुमाते रहे। फिर उससे उसके बारे में पूछताछ की। मगर उन्होंने उसे किसी तरह से भी प्रताड़ित नहीं किया है।
लक्ष्मण ने कहा, 11 नवंबर की दोपहर को लगभग 12:30 बजे विभाग के सब इंजीनियर अजय रोशन लकड़ा के साथ वह गोरना गांव में सड़क निर्माण कार्य का निरीक्षण करने के लिए गए थे। इसके बाद जब वे वापस जाने लगे तो बीच रास्ते में 10 से 12 की संख्या में ग्रामीण वेशभूषा पहने नक्सली पहुंच गए।
उनके हाथों में तीर-धनुष और कुल्हाड़ी थी। उन्होंने हमें रुकवाया और सबसे पहले तो बाइक की चाबी निकाल ली। फिर उन्होंने सब इंजीनियर का व मेरा मोबाइल फोन लिया और दोनों को बंद कर दिया। इसके बाद उन्होंने हमारी आंखों में पट्टी बांध दी और जंगल की ओर लेकर गए।
दोनों को ले गए अलग-अलग जगह
आगे लक्ष्मण ने कहा कि, नक्सलियों ने मुझे और सब इंजीनियर को गोरना गांव से ही अलग कर दिया। जो नक्सली हमें पकड़ने के लिए आए थे, वो 20 से 25 की उम्र के ही थे। आंखों में पट्टी बंधी होने के कारण लक्ष्मण को यह नहीं पता कि नक्सली उसे किस तरफ लेकर गए थे।
जब उन्होंने उतार-चढ़ाव का रास्ता पार किया तो उन्होंने किसी एक जगह उसे रोका, फिर गोरना गांव आने की वजह पूछी। फिर इस बीच रात में उन्होंने उसे खाना भी खिलाया और रात के अंधेरे में वे उसे जंगल-जंगल घुमाते रहे। नक्सलियों ने पूरी पूछताछ के बाद लक्ष्मण को 12 नवंबर की शाम को अपने चंगुल से आजाद कर दिया।
गोरना गांव पहुंचकर पत्नी ने लगाई गुहार
जैसे ही लक्ष्मण की पत्नी सत्यवती को पति के अपहरण की सूचना मिली तो वो भी गोरना गांव पहुंच गई थी। यहां वह रोते हुए गांव की गलियों के चक्कर लगाती रही। वह रास्ते में जो भी ग्रामीण मिलता था उससे यही गुहार लगाती थी कि किसी भी तरह से नक्सलियों तक कोई मेरी बात पहुंचा दो और मेरे पति को छुड़वा दो। मेरे पति निर्दोष हैं।
अभी तक सब इंजीनियर को नहीं किया रिहा
गोरना गांव से सब इंजीनियर अजय रोशन लकड़ा को भी नक्सलियों ने किडनैप कर लिया था। लेकिन अब तक उसे रिहा नहीं किया गया है। बीजापुर जिले के जंगलों में उन्हें कहां रखा गया है, इसके बारे में भी अभी कोई जानकारी नहीं मिली है। अजय की पत्नी अपने मासूम बेटे के साथ पति की रिहाई की गुहार लगाने के लिए जंगल में दर-दर की ठोकरें खा रही है।
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