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मोदी सरकार पर चलाया जाए अवमानना का मुकदमा, आखिर क्यों कोर्ट को ऐसा कहना पड़ा

हम सभी जानते हैं की देश कोरोना के भयंकर संक्रमण से जूझ रहा है और बात की जाए देश की राजधानी दिल्ली की तो लगातार हालत खराब हो रही है लोग ऑक्सीजन लोग ऑक्सीजन की कमी से तड़प तड़प कर मर रहे हैं ऐसे में दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखी टिप्पणी की है और राजधानी में गहराते ऑक्सीजन संकट को लेकर केंद्र से कहा है कि क्यों ना आप पर अवमानना का केस चलाया जाए।

दरअसल केजरीवाल सरकार लगातार आरोप लगा रही है कि केंद्र से उन्हें पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल रहा है. मामला दिल्ली हाई कोर्ट तक जा चुका है. सुप्रीम कोर्ट भी बीच में आ चुका है. 01 मई को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि 03 मई की रात तक दिल्ली की ऑक्सीजन सप्लाई की कमी पूरी होनी चाहिए.

दरअसल पिछले महीने ही दिल्ली सरकार ने अनुमानित तौर पर एक फोरकास्ट जारी किया था. जिसमें बताया गया कि दिल्ली को रोज़ 700 मेट्रिक टन ऑक्सीजन की आवश्यकता है. जिसके बाद कोर्ट ने केंद्र को आदेश दिया कि इतनी ऑक्सीजन तो दिल्ली को रोज़ मिलनी ही चाहिए.

लेकिन दिल्ली की ऑक्सीजन समस्या अभी भी नहीं सुलझी. मामला 04 मई को फिर से दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष गया. जस्टिस विपिन संघी और जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच सुनवाई कर रही थी. दिल्ली सरकार का पक्ष रख रहे थे सीनियर एडवोकेट राहुल मेहरा. वहीं, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) चेतन शर्मा केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे थे. दिल्ली सरकार के वकीव राहुल मेहरा ने कोर्ट में बताया कि अभी तक उन्हें 700 मेट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं करवाई जा रही है. इसपर कोर्ट ने केंद्र को फटकार लगाई और कहा कि ये सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर है.

इसका पालन न करने पर आप अवमानना के दोषी पाए जाएंगे. इससे पहले केंद्र सरकार ने कहा था कि हमारे पास टैंकर नहीं है. राज्य टैंकर अपने पास रख रहे हैं. कोर्ट ने इसपर केंद्र को याद दिलाया कि टैंकर राष्ट्रीय धरोहर नहीं. साथ ही पूछा कि केंद्र ने कोई और ऑप्शन तो सोचा ही होगा.

ASG शर्मा ने कोर्ट को बताया कि 433 मेट्रिक टन ऑक्सीजन 03 मई की रात को दिल्ली पहुंची है. साथ ही 307 मेट्रिक टन ऑक्सीजन 04 मई की सुबह 8:15 पर पहुंची है. दिल्ली सरकार के वकील मेहरा ने पूछा कि आपको 590 मेट्रिक टन डिलिवर करने की जरूरत है. 420 मेट्रिक टन में लोग मर रहे हैं. ASG शर्मा ने इसे आलंकारिक बताया. इसपर कोर्ट ने भी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा,

ये आलंकारिक नहीं है. क्या ये तथ्य नहीं? आप अंधे हो सकते हैं, हम नहीं. आप इतने असंवेदनशील कैसे हो सकते हैं?

ASG शर्मा ने कोर्ट से इमोशनल न होने को कहा. कोर्ट ने जवाब दिया कि ये इमोशनल मामला है. लोगों की ज़िंदगी का सवाल है. ASG शर्मा ने भरोसा दिलाया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार पूरी कोशिश कर रही है. वो हर संभव प्रयास कर रहे हैं. कोर्ट ने केंद्र सरकार के नाम एक शो कॉज़ नोटिस (कारण बताओ नोटिस) जारी किया. पूछा कि 01 मई को जारी सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर का पालन न करने पर उनके खिलाफ अवमानना के तहत एक्शन क्यों नहीं लिया जाना चाहिए. कहा,

हम रोज़ विकट परिस्थिति देख रहे हैं. हालत ऐसी हो गई है कि ऑक्सीजन की कमी की वजह से अस्पतालों को अपने बेड कम करने पड़ रहे हैं. एक तरफ बढ़ते मामलों की वजह से हमें अपनी क्षमता बढ़ाने की जरूरत है. दूसरी ओर हमारी व्यवस्था ध्वस्त होती जा रही है. हम केंद्र सरकार को आदेश देते हैं कि वो कारण बताए कि सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर न मानने पर उनके खिलाफ अवमानना के तहत कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए.

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