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कम बारिश का असर: छत्तीसगढ़ में बढ़ता जल संकट, पिछले साल की तुलना में बांधों में 12% कम जल-भराव

खंड वर्षा के कारण इस साल पिछले साल की तुलना में अभी तक प्रदेश के बांधों में बहुत कम पानी भरा हुआ है। इस कारण छत्तीसगढ़ में जल संकट की समस्या उत्पन्न हो गया है।
रायपुर। छत्तीसगढ़ में गहरा रहा है जल संकट का खतरा पिछले साल की तुलना में प्रदेश के ज्यादातर बांधों में औसत से कम जल-भराव हो पाया है। गंगरेल, तांदुला और दुधावा समेत 46 बांधों में औसत से कम पानी है।यह बेहद चिंता का विषय है। आपको बता दें कि बांधों में जल-भराव की कमी का मुख्य कारण खंड वर्षा को बताया जा रहा है। क्योंकि छत्तीसगढ़ में एक जून से शुरू हुए मानसून ने आधा से ज्यादा सफर तय कर लिया है, लेकिन खंड वर्षा होने की वजह से बांधों में अब तक पिछले साल की तुलना में 12 फीसदी कम ही जल-भराव हुआ है।
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गंगरेल, दुधावा और मुरुमसिल्ली की स्थिति चिंताजनक
छत्तीसगढ़ में खंड वर्षा होने के कारण जल संकट गहरा गया है। प्रदेश के कई बड़े बांधों की स्थिति बेहद ही चिंताजनक है। अकेले गंगरेल बांध आधा दर्जन से अधिक जिलों की जीवनदायिनी है। लेकिन वर्तमान में गंगरेल बांध में 39 फीसदी तक ही जल भराव हो सका है, जबकि पिछले साल अब तक 56 फीसदी जल-भराव दर्ज किया गया था। गंगरेल बांध की क्षमता 767 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की है। इस बार गंगरेल में 296 मिलियम क्यूबिक मीटर पानी ही दर्ज किया गया है। इसी तरह दुधावा में 32 और 48 फीसदी पानी दर्ज हुआ, जबकि पिछले साल दुधावा में 80 और मुरुमसिल्ली में 79 फीसदी जल-भराव हुआ था।
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दर्जन भर से अधिक मध्यम श्रेणी के बांधों में कम पानी प्रदेश में यूं तो छोटे-बड़े मिलाकर करीब 250 बांध हैं। इनमें से मध्यम श्रेणी की बांधों की बात करें, तो दर्जन भर ऐसे बांध हैं जहां 10 से 75 फीसदी तक की पानी की कमी आई है। इसमें खरखरा में 42 फीसदी, किनकारी नाला में 41 फीसदी, पुटकानाला में 71 फीसदी, पेंड्रा वन में 69 फीसदी, घुमरिया नाला में 75 फीसदी और केदारनाला में 67 फीसदी तक जल-भराव में कमी आई है। वहीं प्रदेश के 12 बड़े बांधों में 9 बांधों में पिछले साल के मुताबिक इस बार 2 फीसदी से लेकर 48 फीसदी तक पानी कम दर्ज किया गया है।

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