पानी हमारी जिंदगी में एक अहम भूमिका निभाती है। बिन पानी सब सून क्योंकि बिना पानी पीए इंसान ज्यादा दिनों तक जीवित नहीं रह सकता। ग्रंथों में गंगा को देव नदी भी कहा गया है। हिंदू धर्म में गंगा नदी को बहुत पवित्र माना गया है।
मान्यता है कि गंगा का पानी कभी खराब नहीं होता। ग्रंथों में गंगा को देव नदी भी कहा गया है। लेकिन सिर्फ हिन्दू मान्यता ही नहीं बल्कि वैज्ञानिकों के शोध में भी ये पाया गया है की गंगा का पानी कभी ख़राब नहीं होता।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर सदियों से इसका जल इतना पवित्र कैसे है? आखिर क्या है इसके पीछे की वजह? आज हम धर्म या आध्यात्मिक दृष्टिकोण की बात नहीं करेंगे बल्कि इसके पीछे की वैज्ञानिक कारणों का जिक्र करेंगे।
कुछ समय पहले वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक शोध में इस बात का खुलासा किया गया था। शोध के निष्कर्षो के अनुसार गंगा जल के कभी भी खराब ना होने के पीछे एक वायरस का हाथ है। वैज्ञानिक कहते हैं कि गंगा के पानी में बैक्टीरिया को खाने वाले बैक्टीरियोफैज वायरस होते हैं। ये वायरस बैक्टीरिया की तादाद बढ़ते ही सक्रिय होते हैं और उन्हें नष्ट कर देते हैं।
साथ ही गंगा के पानी में गंधक की प्रचुर मात्रा में है, इसलिए यह खराब नहीं होता है। इसके अतिरिक्त कुछ भू-रासायनिक क्रियाएं भी गंगाजल में होती रहती हैं। जिससे इसमें कभी कीड़े पैदा नहीं होते।
वैज्ञानिक परीक्षणों से पता चलता है कि गंगाजल से स्नान करने तथा गंगाजल को पीने से हैजा, प्लेग और मलेरिया आदि रोगों के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। यही कारण है कि गंगा के पानी को बेहद पवित्र माना जाता है।