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यादों में अजीत जोगी : कभी नंगे पाँव जाया करते थे स्कुल, ऐसे हुई पॉलिटिक्स में इनकी एंट्री, यहाँ पढ़िए पूर्व CM अजीत जोगी से जुड़ी कुछ खास बातें

रायपुर| छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमत्री व जनता कांग्रेस के संस्थापक अजीत प्रमोद कुमार जोगी को गुजरे एक साल हो गए है। इस अवसर पर उनकी पत्नी और कोटा से JCC(J) ‌‌विधायक डॉ. रेणु जोगी और बेटे अमित जोगी ने जोगी को श्रद्धा सुमन अर्पित किया है।

बता दें, बिलासपुर जिले के पेंड्रा में जन्में अजीत जोगी ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद पहले भारतीय पुलिस सेवा और फिर भारतीय प्रशासनिक सेवा में काम किया।

अजीत जोगी को छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री होने का गौरव प्राप्त है। अजीत का जन्म गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के जोगीसार में 29 अप्रैल 1946 को हुआ था। अजीत गरीब परिवार में जन्में थे,अभावों में पढ़ाई पूरी की। इंजीनियरिंग की, आईपीएस बने, आईएएस बने और कांग्रेस में शामिल हुए।

लोकसभा, राज्यसभा के साथ छत्तीसगढ़ के पहले सीएम होने का सफर तय किया। लंबे समय से कांग्रेस में रहने के बाद जोगी ने कांग्रेस छोड़ अलग पार्टी (JCC(J) ‌‌) बनाई और जनता के दिलों अपनी अलग छाप बनाने में पूरी जिंदगी कामयाब रहे।

छत्तीसगढ़ के गौरेला में 29 अप्रैल 1946 को अजीत जोगी का जन्म हुआ। इनके पिता का नाम था स्वर्गीय काशी प्रसाद जोगी। संयोग है अजीत जोगी 29 अप्रैल को जन्में और उनका निधन 29 मई को हुआ।

जोगी को घुड़सवारी, ग्लाइडिंग, स्विमिंग, योगा, ट्रैकिंग, शिकार करना किताबें पढ़ना और तांत्रिक विज्ञान की जानकारी रखने का शौक था। रायपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज में साल 1967-68 में लेक्चरर रहे। 1968 से 70 तक आईपीएस रहे, 1970 में आईएएस बने। लगातार 12 वर्षों तक कलेक्टर रहने का इनके नाम रिकॉर्ड है।

जोगी के कलेक्टर रहते हुए किए गए उनके कार्यों से तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी प्रभावित हुए थे। उन्होंने मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के जरिए अजीत जोगी को कांग्रेस में आने के लिए कहा। इसके बाद जोगी ने प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देकर कांग्रेस ज्वाइन की।
सन 2000 में जब जोगी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बने तो सभी अनुमान लगाते रहे कि वे किस सीट से चुनाव लड़ेंगे। ऐसे में माहिर राजनेता जोगी ने भाजपा के मरवाही विधायक रामदयाल उइके ने अपनी सीट उनके लिए खाली कर दी। इतना ही नहीं इस दौरान भाजपा के 12 विधायकों ने एक साथ कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी।
2018 विधानसभा चुनाव में जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने चुनावी वादे स्टांप पेपर पर दिए। यह पहला मौका था जब राज्य में किसी नेता ने ऐसा कदम उठाया। जोगी ने कहा था कि हम जो भी वादे करेंगे। वह हर हाल में पूरा करेंगे। यदि एक भी वादे पूरे नहीं होते हैं तो मैं जेल जाने को तैयार हूं।
अजीत जोगी ने मार्च 2016 में गरियाबंद के मैनपुर के नजदीक बोईरगांव के किसान सम्मेलन में कहा था कि मुझे मारने के लिए तंत्र-मंत्र का सहारा लिया गया था। साल 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार से लौटते वक्त मैनपुर क्षेत्र में ही जोगी की कार एक पेड़ से टकरा गई थी। तब से अजीत जोगी चल नहीं पाए और व्हील चेयर में उनकी बाकी की जिंदगी बीत गई।
राजनीति में आने के साथ ही विवादों और उनका रिश्ता बन गया। राज्यसभा, लोकसभा सांसद रहते हुए ही उन पर आदिवासी नहीं होने का आरोप लगता रहा। 2003 में जब वो छत्तीसगढ़ का चुनाव हार गए तो आरोप लगा कि उन्होंने भाजपा के विधायकों को खरीदने की कोशिश की। इसका टेप, नगद रकम भी बरामद की गई।
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इसी दौरान राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कोषाध्यक्ष रामअवतार जग्गी की हत्या में भी उन्हें आरोपी बनाया गया। बाद में उन्हें अदालत ने बरी कर दिया। उन पर फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाने के एक से अधिक मामले हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट तक चलते रहे। 2014 में अंतागढ़ उप चुनाव में एक ऑडियो टेप जारी हुआ जिसमें वे कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी मंतूराम से बात कर रहे हैं।
मंतूराम ने ऐन चुनाव से पहले अपना नाम वापस ले लिया था। कांग्रेस के नेताओं ने आरोप लगाया कि मंतूराम को ऐसा करने के लिए अजीत जोगी ने कहा। कांग्रेस के नेता लगातार आरोप लगाते रहे कि जोगी अपनी ही पार्टी के खिलाफ काम करते रहे हैं।

बाद में वे मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सुझाव पर राजनीति में आये। वे विधायक और सांसद भी रहे। बाद में 1 नवंबर 2000 को जब छत्तीसगढ़ बना तो राज्य का पहला मुख्यमंत्री अजीत जोगी को बनाया गया। 29 मई 2020 को अजीत जोगी की दिल का दौरा पड़ने से राजधानी रायपुर के नारायण अस्पताल में मृत्यु हो गई।

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