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संभल जाइये! अब कोरोना डेल्टा वैरिएंट के साथ बच्चों में RS वायरस नामक नया खतरा

दुनिया भर में कोरोना महामारी कोहराम मचा रहा है। इस बार कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के ऊपर अधिक प्रभाव पड़ने की आशंका जताई जा रही है। बता दें कि अमेरिका जैसा देश जो अभी डेल्टा वैरिएंट से जूझ रहा है, यहां के दो सप्ताह से 17 वर्ष के बच्चों में रेसपाइरेटरी सिनसिशल वायरस (आरएसवी) के मामले मिले हैं और ये तेजी से बढ़ रहे हैं। अमेरिका के लिए यह बहुत ही चिंता का विषय है।

क्या कहते हैं स्वास्थ्य एजेंसी

अमेरिका के स्वास्थ्य एजेंसी सेटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने बताया है कि बच्चों में आरएसवी के मामले देखने को मिले हैं अभी जब से डेल्टा वैरिएंट का प्रकोप बढ़ा है तब से इसके मामलों में तेजी देखने को मिली है।

the guptchar children
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गर्मी के मौसम से मामलों में बढ़ोतरी

डेल्टा वैरिएंट के मामले देखने को मिले हैं किंतु चिंता की बात कुछ और है। बताया जा रहा है कि इस वायरस के मामले सर्दी में अधिक देखने को मिलते हैं। विशेषज्ञ भी गर्मी के मौसम में डेल्टा के प्रकोप मे इसके बढ़ते मामलों से हैरान हैं।

डेल्टा का फैलाव कोरोना की तरह

जानकारी के मुताबिक, मुंबई के कोकिला बेन अस्पताल की पीडियाट्रिक इंटेसिव केयर यूनिट की विशेषज्ञ डॉ. प्रीथा जोशी ने बताया कि कोरोना की तरह ही आरएसवी भी खांसने और छींकने से फैलता है, साथ ही वायरस आंख, नाक और मुंह से शरीर में प्रवेश कर जाता है, कोरोना की तरह दरवाजों के हैंडल इत्यादि से भी इस वायरस के फैलने की आशंकाएं हैं। आगरा कोई बच्चा आरएसवी से संक्रमित है तो उस बच्चे को चूमना भी खतरे से खाली नही है।क्योंकि कहा जा रहा है कि बच्चे के चेहरे को चूमने से भी संक्रमण फैल सकता है।

the guptchar children
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ठीक होने में लगते हैं एक से दो हफ़्ते

डॉ. प्रियंका पांडे जो कि लखनऊ के लोहिया संस्थान की बाल रोग विशेषज्ञ हैं, आरएसवी के बारे में कहती हैं कि ये सामान्य वायरस है। इसकी चपेट में अधिकतर दो साल तक के बच्चे आते हैं। बच्चे इस वायरस की चपेट में आने के बाद सर्दी और खांसी की समस्या से जूझते हैं। ऐसा अधिकतर मामलों में होता है कि कुछ बच्चे बिना कोई दवा लिए ही एक से दो सप्ताह में ठीक हो जाते है और कुछ बच्चे ऐसे हालातों से गुजरते हैं कि उन्हें भर्ती कराना पड़ जाता है।

क्या कहते हैं डॉक्टर

डॉ. प्रियंका ने कहा कि फिलहाल अभी देश दुनिया में कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं और इस वजह से बच्चों में अगर किसी भी तरह की स्वास्थ्य संबंधी तकलीफ दिखती है तो उन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और एक जरूरी बात, अगर बच्चों में सांस की समस्या होती हो तो डॉक्टर को अवश्य दिखाएं।

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