Harsu Brahm Dham, Bihar : बिहार के कैमूर जिले में एक ऐसा अनोखा मंदिर है जिसे लोग भूत-प्रेत मुक्ति मंदिर बोलते हैं। यहां एक ऐसा मेला लगता है जहां भूत-प्रेतों का दरबार सजता है। ओझा-गुणी आते हैं तथा लोगों के सिर से बुरी आत्मा के साए को भगाते हैं। ये मंदिर कैमूर जिले के चैनपुर में मौजूद है तथा इसका वास्तविक नाम हरसु ब्रह्माधाम (Harsu Brahm Dham) है।
वहीं यहां आने के पश्चात् ओझा के बताए मुताबिक, लोग धूप, बत्ती एवं कपूर के साथ पूजा की सामग्री खरीदते हैं। फिर मंदिर परिसर में आरम्भ हो जाता है भूतों को भगाने का सिलसिला। उपचार के लिए यहां लोगों का हुजूम लगता है।
लोगों के अनुसार, जो भी बाबा के दरबार में आता है वो कभी खाली हाथ लौट के नहीं जाता। स्थानीय लोगों के अनुसार, हरसू ब्रह्माधाम को भूतों का सर्वोच्च न्यायालय भी बोला जाता है।
देश के कोने-कोने से आते है लोग
इस धाम पर प्रत्येक वर्ष हजारों के आँकड़े में भक्त आते हैं तथा अपने शरीर से बुरी आत्मा को भगाकर बाबा का नाम लेते हुए विदाई लेते हैं। पुजारी योगेंद्र पांडेय की मानें, तो यहां 650 वर्षों से भूतों का मेला लगता है। धाम पर बिहार के अतिरिक्त झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान तथा देश के कई प्रदेशों से लोग पहुंचते हैं।
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वहीं मंदिर परिसर में पूजा पाठ तथा तंत्र मंत्र के अतिरिक्त भूतों को भगाने के लिए खास पूजा का आयोजन किया जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर के लिए बकायदा एक ट्रस्ट का निर्माण हुआ है। ट्रस्ट के सचिव कैलाश पति त्रिपाठी ने बताया कि 1428 ईवी के समय यहां राजा शालिवाहन का राज था। हरसू पांडे राजा शालिवाहन के मंत्री तथा राजपुरोहित थे।
छत्तीसगढ़ से जुड़ा है किस्सा
राजा शालिवाहन को बेटा नहीं हो रहा था। तत्पश्चात, हरसू ने उन्हें कई प्रकार के सुझाव दिये। यहां तक कि उन्हें दूसरी शादी करने की सलाह भी दी। राजा की पहली पत्नी राजस्थान की थी। फिर राजा ने छत्तीसगढ़ की एक राजकुमारी से विवाह रचाया, जिनसे उन्हें पुत्र प्राप्ति हुई। उसके बाद से ही मंदिर में पुत्र की प्राप्ति के साथ भूतों से निजात पाने के लिए लोग यहां आने लगे।