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Navratri 2023 : यहां पेड़ फाड़ कर प्रगट हुई थी माता, चौसठ योगिनी के नाम से हैं प्रसिद्ध, देश के कोने-कोने से आते हैं श्रद्धालु

वेद पुराणों में जगत जननी मां जगदंबा के सहस्त्रनाम है, और हर नाम की अलग-अलग व्याख्या सुनने को मिलता है. नवरात्रि के दिनों में ऐसे ही माता के कई चमत्कारी दिव्य दरबारों के बारे में जगह-जगह से खबरें निकलकर सामने आती हैं. सागर जिले के देवरी में भी सैकड़ो साल पुराने बरगद के पेड़ के नीचे विराजमान मां 64 योगिनी का सच्चा दरबार श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है. कहा जाता है कि सैकड़ों साल पहले यहां पर 64 योगिनी माता बरगद को फाड़ कर प्रकट हुई थी, इसलिए इस वृक्ष की शाखाएं चारों तरफ दो एकड़ से भी ज्यादा जगह में फैली हुई है. यहां सालभर दूरदराज के गांवों के अलावा प्रदेश और देश के कोने-कोने से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं.

वट वृक्ष के अद्भुत दृश्य, उसकी शाखाएं, लताएं, हरियाली, प्राचीनता, विशालता देखकर यहां के लोग अचंभित रह जाते हैं. लंबे समय से इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल और तीर्थ स्थल बनाए जाने की मांग की जा रही है.

नवरात्रि पर लगता है मेला
सागर मुख्यलाय से 65 किलो मीटर दूर देवरी, देवरी से 16 किमी दूर पनारी गांव में विराजित मां चौसठ योगिनी के मंदिर में आस्था का सैलाब उमड़ रहा है. यहां नवरात्र के पहले दिन से ही भक्त आना शुरू हो जाते हैं. श्रद्धालु नवरात्र में चौसठ योगिनी माता को अद्वितीय तीर्थ मानते हैं. बरगद के वृक्ष से यहां हजारों की संख्या में लटके घंटे मां के प्रति आस्था को व्यक्त करते हैं. मां चौसठ योगिनी के दरबार तक पहुंचने के लिए नेशनल हाइवे 44 पर सागर और नरसिंहपुर मार्ग के बीच पड़ने वाले महाराजपुर से दो किलोमीटर दूरी से रास्ता है.

दो एकड़ में फैला है बरगद का वृक्ष
पनारी गांव में जिस बरगद के वृक्ष के नीचे मां चौसठ योगिनी का दरबार स्थापित है. वह बरगद का पेड़ दो एकड़ एरिया में फैला हुआ है. इस बरगद के वृक्ष की जटाओं व सभी दिशाओं में मां जगत जननी के विभिन्न स्वरूपों में चौसठ योगिनी की प्रतिमाएं विराजमान हैं. इस तीर्थ में हजारों साल पुराने बरगद की अदभुत उत्पत्ति, संरचना मध्यप्रदेश में अद्वितीय है.

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