रायपुर। छत्तीसगढ़ में अब जल्द ही खेतों से फ्यूल निकाली जाएगी। इसके लिए तैयारी भी की जा रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस संबंध में कहा कि गन्ना और मक्का से एथेनॉल(Ethenol) नाने के प्लांट लगाए जा रहे हैं।
कवर्धा में गन्ने से एथेनॉल(Ethenol) बनाने का प्लांट और कोंडागांव में मक्का से एथेनॉल बनाने का कारखाना शुरू होने जा रहा है। इन जगहों से बहुत जल्द प्रोडक्शन का कार्य भी शुरू हो जाएगा। एथेनॉल (Ethenol) का उपयोग गाड़ियों में पेट्रोल की तरह किया जा सकेगा। इससे लोगों को कमर तोड़ रही महंगाई के बीच महंगे पेट्रोल से राहत मिलेगी। इस एथेनॉल की कीमत 50 से 60 रुपए के करीब हो सकती है।
मुख्यमंत्री बघेल ने एथेनॉल (Ethenol) बनाने को लेकर कहा कि हमारा तीन साल पुराना प्रस्ताव है भेजने वाली बात ही नहीं है, पहले से प्रस्ताव है जब से हमारी सरकार बनी है उसके दूसरे महीने ही प्रस्ताव भेज दिया था कि हमें धान से एथनॉल बनाने की अनुमति दिया जाए। ये अनुमति नहीं मिली है इसका रेट भी तय नहीं किया गया है। यदि धान से एथेनॉल बनाने की अनुमति मिलती है तो इससे केंद्र, राज्य सरकार, किसान और आम आदमी का अधिक फायदा होगा। क्योंकि यहां धान की पैदावार अधिक है। केंद्र सरकार को इस पर अधिक ध्यान देना चाहिए।
ये है एथेनॉल
एथेनॉल को पेट्रोल की तरह प्रयोग किया जा सकता है। पेट्रोल की तरह इस्तेमाल किए जा सकने वाले इस एथेनॉल को गन्ना, मक्का और धान से बनाया जा सकता है। यहां तक कि खेतों से फ्यूल तो मिलेगा ही,साथ की भारत में इन फसलों की कमी नहीं होगी।
एथेनॉल एक इको-फ्रैंडली फ्यूल है। यह पर्यावरण को जीवाश्म ईंधन से होने वाले खतरों से बचाता है। ब्राजील में करीब 40 प्रतिशत गाड़ियां 100 फीसदी एथेनॉल से चलती हैं। स्वीडन और कनाडा की गाड़ियों में भी एथेनॉल का इस्तेमाल किया जा रहा है। वहीं, कनाडा में एथेनॉल के इस्तेमाल पर सरकार सब्सिडी भी दे रही है।
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