भारत सरकार के पास कई ऐसी संपत्तियां हैं, जिसका पूर्ण रूप से उपयोग नहीं हुआ है या बेकार पड़ी हुई हैं, ऐसी 100 परिसंपत्तियों को बाजार में चढ़ाकर 2.5 लाख करोड़ रुपये जुटाये जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि घाटा पैदा करने वाले उपक्रमों पर सरकार द्वारा लगाये जाने वाले पैसे और संसाधन बेकार होते हैं।
यदि इन संसाधनों का इस्तेमाल हम सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण और जन कल्याण योजनाओं के लिए इस्तेमाल करें तो यह एक बेहतर बदलाव लाएगा । उन्होंने कहा की बेकार पड़ी सरकारी संपत्ति को बेचकर हमें 2.5 करोड़ रुपए तक का मुनाफा होगा । इस रकम से हम निजी क्षेत्र में निवेश कर सकते हैं। जल , साफ-सफाई , एजुकेशन स्वास्थ्य संबंधी और ,रोजगार जैसी जनकल्याण से जुड़ी इन समस्याओं के सुधार के लिए योजनायें तैयार कर सकते है।
उनका कहना है बिजनेस करना सरकार का काम नहीं है। सरकार का ध्यान जन कल्याण के लिए होना चाहिए।आगे वह कहते हैं, कि हमारा लक्ष्य केवल आधुनिकरण और देश से जुड़े विकास पर केंद्रित है ।मोदी जी का मानना है ,कि सरकारी संपत्तियों को केवल विरासत में मिली हुई संपत्ति नहीं मानना चाहिए।
यदि यह सरकारी संपत्ति अर्थव्यवस्था पर बोझ बढ़ा रही है, तो इसे बेचकर प्राप्त संपत्ति से भारत को ऊंची वृद्धि तक पहुंचा सकते हैं। ऐसा करने से अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले बोझ को भी कम किया जा सकता है।
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