राज्य को ओबीसी आरक्षण सूची तैयार करने का अधिकार देने वाले 127वें संविधान संशोधन विधेयक को राज्यसभा में भी मंजूरी मिल गई है। इससे पहले लोकसभा में पहले से ही मंजूरी मिल गई है। संसद के उच्च सदन में उपस्थित सभी 186 सांसदों ने इस बिल का समर्थन किया है।
बता दें की इससे पहले मंगलवार को लोकसभा ने भी इस बिल को मंजूरी दी थी। अब इस बिल को राष्ट्रपति के समक्ष पेश किया जाएगा और उनके हस्ताक्षर के बाद यह कानून के तौर पर लागू हो जाएगा। इसके तहत देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपने स्तर पर ओबीसी आरक्षण के लिए जातियों की सूची तय करने और उन्हें कोटा देने का अधिकार होगा। महाराष्ट्र सरकार की ओर से दिए गए मराठा कोटे को सुप्रीम कोर्ट से खारिज किए जाने के बाद से ही केंद्र सरकार यह विधेयक लाई थी।
इस आरक्षण पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार की ओर से इस तरह किसी भी वर्ग को ओबीसी सूची में शामिल नहीं किया जा सकता। जिसके चलते इस फैसले को अदालत ने मराठा आरक्षण को खारिज कर दिया था। जिसके बाद राज्य में आंदोलन करने शुरू हो गए थे। जिसके बाद सरकार ने यह बिल लाई है। इससे महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की राह और आसान होगी।
इसके साथ साथ ही अन्य राज्यों में भी प्रदेश सरकारों को अपने मुताबिक सूची तैयार करने का अधिकार मिल जायेगा। राज्यसभा में इस विधेयक पर बहस के दौरान कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार से आरक्षण की 50 फीसदी सीमा को भी खत्म करने की मांग की। पहले लोकसभा में भी विपक्षी दलों ने जाति वार जनगणना कराने और आरक्षण की सीमा को समाप्त करने की मांग पहले ही की थी।
आखिरकार मंगलवार को लोकसभा में यह विधेयक पारित हुआ। ऐसा पहली बार देखने को मिला जब दोनों सदनों में बिना किसी बाधा के यह बिल को पास किया गया। सदन में लगातार जारी हंगामे के बीच ओबीसी बिल पर ऐसा पहली बार देखने को मिला, जब संसद के दोनों सदनों में चर्चा हुई और बिना किसी हंगामा के कामकाज हुआ। दोनों ही सदनों से ओबीसी विधेयक को ध्वनिमत से पारित किया गया है। दोनों सदनों के किसी भी सदस्य ने इस बिल का विरोध नहीं किया।
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