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किसानों को खेती बाड़ी के लिए पेट्रोल पंप में नही मिल रहा डीजल, भटकने को हुए मजबुर…

रायपुर। छत्तीसगढ़ में मार्च से शुरू पेट्रोल-डीज़ल की किल्लत अब हर जगह दिखने लगी है. प्रदेश में एचपीसीएल के 40 फ़ीसदी से अधिक पेट्रोल पंप ड्राई हो चुके हैं। कमोवेश यही स्थिति बीपीसीएल और इंडियल ऑयल की भी है। स्थिति ये है कि मानसून आने के साथ खेती-बाड़ी के लिए किसान डीज़ल के लिए भटक रहे हैं तो वहीं पंप संचालक इस स्थिति से निपटने के लिए शासन-प्रशासन से लगातार गुहार लगा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में पेट्रोलियम पदार्थों की आवक नहीं होने से पेट्रोल पंप संचालकों की डिमांड पूरी नहीं हो रही है। जिसका सीधा असर आम उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है। सरगुजा के सीतापुर के पंप संचालक के मुताबिक़ भारत पेट्रोलियम के डीपो से डिमांड का 30 प्रतिशत ही मिल रहा है। वहीं हिंदुस्तान पेट्रोलियम से 20 प्रतिशत तो इंडियल आयल के पेट्रोल पंप संचालकों की डिमांड पर उनको 90 प्रतिशत पेट्रोल डीज़ल दिया जा रहा है।
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क्या कहते हैं पेट्रोल पंप संचालक?
पेट्रोल पंप संचालक टीटू अग्रवाल के मुताबिक़ खेती किसानी के समय किसान डीज़ल के लिए भटक रहे हैं लेकिन हमारी मजबूरी है कि डीज़ल नहीं दे पा रहे हैं। उनके मुताबिक़ हर दूसरे दिन पंप ड्राई हो जा रहा है। जबकि डीपो द्वारा 3-4 दिन में एक गाड़ी पेट्रोल डीज़ल दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पेट्रोलियम कंपनी के अधिकारियों का निर्देश है कि डीज़ल-पेट्रोल केवल रिटेल में बेचें। डब्बा में या ठेकेदारों को डीज़ल-पेट्रोल ना दें।
दरअसल, पेट्रोलियम कंपनी में सबसे अधिक क़िल्लत HPCL में है. इसी कंपनी के सबसे अधिक पेट्रोल पंप ड्राई हैं। नाम नहीं बताने की शर्त पर एक पेट्रोल पंप संचालक ने बताया कि छत्तीसगढ़ में पिछले दो सालों में ढाई सौ HPCL के पंप खोले गए हैं। लेकिन उस अनुसार भण्डारण के लिए डीपो की संख्या नहीं बढ़ाई गई।

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