@Rahul Rajput/Vibhanshu Dwivedi बीजापुर। छत्तीसगढ़ में बीजापुर जिले के सिलगेर में कुछ दिनों पहले हुए सिलगेर गोलीकांड के बाद सरकार और सुरक्षा बलों को बहुत विद्रोह झेलना पड़ रहा है। इस बीच सिलगेर के ग्रामीणों ने सुरक्षाबलों पर कई आरोप लगाए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव सिलगेर में बिना ग्रामसभा की अनुमति के ही सुरक्षाबलों ने कैंप लगा लिया। साथ ही उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने महिला के नकली हस्ताक्षर किए, जबकि उस महिला ने ऐसा कोई भी अंगूठा या हस्ताक्षर नहीं किया।
सड़क का इस्तेमाल करने पर ग्रामीणों को पीटे जाने का आरोप
सिलगेर के ग्रामीणों ने सुरक्षाबलों पर आरोप लगाया कि उनके द्वारा उन्हें सड़कों का इस्तेमाल करने से रोका जा रहा है। साथ ही सड़कों पर चलने से उनसे पूछताछ की जाती है और उन्हें मारा जाता है।यहाँ के ग्रामीण जंगलों पर निर्भर हैं इनके पास संपत्ति के नाम पर ज़मीन, पशु इत्यादि हैं। उन्होंने अपने जीवीकोपार्जन के लिए पशु पक्षी पाल रखे हैं, जैसे – मुर्गा, बकरा इत्यादि। लेकिन यहां पर सुरक्षाकर्मी इनके जीवनयापन के साधन जैसे मुर्गा, बकरा इत्यादि की माँग करने लगते हैं। मुर्गे की मार्केट में कीमत 2000 रुपए की होती है और सुरक्षाकर्मी इनसे ये 200 रुपए में मांग लेते हैं। जब ये इनकार करते हैं, तो उनके द्वारा इन्हें पीटा जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि उनके साथ ऐसा एक बार नहीं कई बार हो चुका है ।
ग्रामीणों ने सुरक्षाकर्मियों पर यह भी आरोप लगाया कि कभी अगर वे कभी आसपास के गांव में दैनिक उपयोग की चीजें लेने जाते हैं तो उन्हें यह कहकर पीटा जाता है कि वे नक्सलियों का सामान लेकर जा रहे हैं।
कैंप के कँटीले तारों से 5 मवेशियों की मौत
ग्रामीणों का कहना है कि कैम्प में उपयोग किए जाने वाले कटीले तारों में कई मवेशी मारे गए हैं। उनका कहना है कि उनके 5 गाय इसी कंटीले तार के वजह से मारे गए हैं।
जानिए क्या है सिलगेर कांड
बीजापुर और सुकमा की सीमा पर एक गांव है जिसका नाम है सिलगेर। इस गांव में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल का नया कैम्प बन रहा है। यहां के स्थानीय आदिवासी इस कैम्प का लगातार विरोध कर रहे हैं। कई दिनों से उन्होंने कैम्प स्थल के बाहर ही धरना दिया है।
इस बीच 13 मई को जब घेराव और प्रदर्शन हुआ तो सुरक्षाकर्मियों ने गोली चला दी। गोली चलने पर 3 आदिवासियों की मृत्यु हो गई और तकरीबन 18 लोग इसमें घायल हो गए। इस घटना में सुरक्षाकर्मियों का कहना था कि नक्सलियों ने प्रदर्शनकारियों की आड़ में जवानों के कैम्प पर हमला किया था। फिर जब उन्होंने जवाबी हमले किए तो इसमें तीन लोगों की मौत हो गई। इसके बाद उस इलाके के आदिवासी तीनों शवों को वहीं रखकर प्रदर्शन करते रहे। कुछ देर बाद अफसरों ने जाकर इस मामले में हस्तक्षेप किया। जब दंडाधिकारी जांच का आदेश दिया गया तब जाकर उन्होंने शवों का अंतिम संस्कार किया। इसके बाद आदिवासियों ने 28 दिनों का सत्याग्रह किया था।
समस्याओं का निराकरण करने का दिया गया आश्वाशन
सिलगेर में कैंप के विरोध में 25 से अधिक गांव के लोगों ने धरना प्रदर्शन किया। इस अनिश्चित कालीन धरना प्रदर्शन में एसडीएम कोंटा बनसिंह नेताम, सरपंच सिलगेर कोरसा सन्नु, समाज सेविका सोनी सोरी, पटवारी अजय शांडिल्य, सचिव वोयम देवा और पत्रकार राहुल राजपूत पहुँचे। उन्होंने कलेक्टर द्वारा दिए गए निर्देश पर प्रदर्शन कारियों की समस्याएं सुनी। इसके साथ ही यहां के लोगो ने एसडीएम कोंटा व सरपंच सिलगेर के सामने हॉस्पिटल, स्कूल, पानी,आंगन बाड़ी, पीडीएस भवन ,आधार कार्ड,बैंक खाता , वन भूमि पट्टा साथ ही अन्य मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की। लोगों की समस्याएं सुनकर एसडीएम कोंटा व सरपंच सिलगेर ने वहां के ग्रामीणों को यह आश्वाशन दिया कि बहुत जल्द शासन द्वारा उनकी समस्याओं का निराकरण किया जाएगा।
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