तो आइये संग चलते है नई इबारते गढ़ते है,छत्तीसगढ़ को देश का सबसे बढ़िया राज्य के रूप में गढ़ते है.
स्थापना दिवस विशेष 1 नवंबर theguptchar.com। छत्तीसगढ़ भारत का एक ऐसा राज्य जो अपनी अनूठी छत्तीसगढ़ी परम्परा के लिए पुरे देश में एक अलग पहचान रखता है जहाँ की गुरतुर बोली और अमठहा जिमी कांदा के सामने पुरे देश की सब्जी तरकारी फीकी पड़ जाती है बात चाहे तीजन की जबरदस्त और मनमोहक पडवानी की हो या स्वतंत्रता के लिए पुरे देश में सबसे पहले हुंकार भरने वाले शहीद वीरनारायण सिंह का हो या छत्तीसगढ़ी भाखा और बोली के दम में पुरे विश्व के लोगो को पेट पकड़ कर हँसाने पर मजबूर करने वाले हास्य कवि सुरेन्द्र दुबे की कविता हो छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ी का कोई तोड़ नही है.
जहाँ की पावन भुईया में स्वयम मर्यादा पुरसोत्तम श्रीराम की ननिहाल रही और यही की धरा में प्रभु ने अपने वनवास काल के कई वर्ष गुजारे और शबरी आश्रम वलिमिकी आश्रम जैसे रामायण काल की महत्वपूर्ण कांड इस धरा के पबरित भुइया में हुई सिरपुर में मिले बौध स्तूप हो या भोरमदेव और देवरानी जेठानी मन्दिर हो जहाँ रूद्र शिव की विशाल मूर्ति प्राप्त हुइ जिससे यह प्रमाणित होता है की प्रदेश प्राचीन काल से ही वैभव और संस्कृति से लबालब था.
दाऊ मंदराजी ने एक तरफ जहाँ छत्तीसगढ़ के लोगो को गम्मत और नाचा में खूब थिरकाया तो लक्ष्मण मस्तुरिया,मिथलेस साहू,खुमान साहू जैसे महान संगीतकारों ने छत्तीसगढ़ियो को अपने मधुर आवाज़ से छत्तीसगढ़ी को पहले से और अधिक गुरुतुर और मीठा बनाया चाहे वो ‘’आजा न गोरी अब झन तरसा हो’’ या दिल चिर दिने वाली मस्तुरिया जी की ‘’मै छत्तीसगढ़िया अव ग’’ …. जैसी छत्तीसगढ़ियापन से सरोबार लोकप्रिय गीत हो या अपने कलाकारी और निर्देशन से मुर्दों में भी जान फुकने वाले हबीब तन्वीर साहब हो छत्तीसगढ़ और छात्तिस्गढ़िया लोगो का कोई तोड़ नही.
खुरमी,ठेठरी,बरा,सोहारी,चौसेला,अइरसा का गजब का स्वाद हो या जिमी कांदा,मखना,भिन्डी का खट्टा साग हो अनुज,करन की गजब की अदायगी हो या करमा ददरिया,सुआ,पंथी संग गढ़वा बाजा और अरपा पैरी महानदी की धार हो छत्तीसगढ और छत्तीसगढ़ी संस्कृति का कोई तोड़ नही.
छत्तीसगढ़िया सदैव से कहते आए है ‘’मोर संग चलव रे मोर संग चलव ग’’ तो आइये संग चलते है नई इबारते गढ़ते है,छत्तीसगढ़ को देश का सबसे बढ़िया राज्य के रूप में गढ़ते है.