पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने बीजेपी को चौकाते हुए प्रचंड जीत हासिल की। आपको बता दें कि बंगाल में टीएमसी लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है। लेकिन ममता की इस जीत में भी उनकी खुद की हार शामिल है। ममता बनर्जी खुद नंदीग्राम सीट से शुभेंदु अधिकारी से करीब 1956 मतों से चुनाव हार गई हैं। ममता बनर्जी भले ही चुनाव हार गई हैं, लेकिन मुख्यमंत्री बनने में कोई परेशानी नहीं है।
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क्या कहता है कानून
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 के तहत ममता मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकती हैं। अनुच्छेद 164 (4) कहता है, “एक मंत्री जो लगातार छह महीने तक राज्य के विधानमंडल का सदस्य नहीं है, उसे पद छोड़ना पड़ेगा।” इसका मतलब यहा है कि ममता बनर्जी को छह महीने के भीतर किसी विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर आना होगा।
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साल 2011 में भी जब ममता जब पहली बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी, उन्होंने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था। तब वह संसद सदस्य थीं। कुछ महीनों के बाद, वह भबानीपुर से चुनी गई।
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