दुनियाभर में एक बार फिर संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं और इसका कारण कोरोना के डेल्टा वैरिएंट को माना जा रहा है। अपने बहुत से अलग-अलग अध्ययनों में वैज्ञानिकों ने कोरोना के इस वैरिएंट को बहुत ही संक्रामक और घातक बताया है। इस वैरिएंट को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन भी बहुत चिंतित है। अभी हाल में ही किए गए एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने कहा है कि फिलहाल, दुनिया में कोरोना का कहर थमता नजर नहीं आ रहा है। हो सकता है कि आने वाले सालों में कोरोना के और भी घातक वैरिएंट्स सामने आ जाएं। इसी विषय में अब स्विटजरलैंड के ईटीएच ज्यूरिख विश्वविद्यालय के इम्यूनोलॉजिस्ट ने कोविड-19 से भी ज्यादा खतरनाक कोरोना के सुपर वैरिएंट ‘कोविड-22’ को लेकर दुनिया के लोगों को पहले से ही आगाह कर दिया है।
वैज्ञानिकों कह रहे हैं कि कोरोना के संभावित नए खतरों को लेकर लोगों को अभी विशेष सावधान रहने की जरूरत है। कोरोना का सुपर वैरिएंट, इस समय दुनियाभर के लिए बहुत ही बड़ी चुनौती साबित हो रहे कोरोना के डेल्ट वैरिएंट से भी कहीं अधिक घातक हो सकता है। कोरोना के इस संभावित सुपर वैरिएंट से मुकाबला करने के लिए केवल वैक्सीन पर ही भरोसा नहीं किया जा सकता है।
विश्वविद्यालय के इम्यूनोलॉजिस्ट प्रोफेसर डॉक्टर साई रेड्डी ने कहा कि, भविष्य के इस बहुत बड़े गंभीर खतरे को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य संगठनों को अभी से ही तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। हमें कोरोना के सुपर वैरिएंट से मुकाबले के लिए और भी अधिक शक्तिशाली वैक्सीन की जरूरत हो सकती है। अगर तब तक जिन लोगों को वैक्सीन नहीं लगी होगी, वह कोरोना के संभावित सुपर-स्प्रेडर हो सकते हैं। यह आशंका जताई जा रही है कि कोरोना का सुपर वैरिएंट हमारे शरीर में बनी प्रतिरोधक क्षमता को भी आसानी से चकमा दे सकता है। ऐसे में लोगों में एक बार फिर से संक्रमण का खतरा हो सकता है। उस समय तक जिन लोगों को वैक्सीन नहीं लगी होगी, उनमें आज के मुकाबले कई गुना तक अधिक खतरा होने की संभावना जता%E