छत्तीसगढ़

संसद में केंद्रीय स्वास्थ्यमंत्री ने सेहत पर पूछे गए सवाल पर दी जानकारी, छत्तीसगढ़ में 3 सालों में 25000 आदिवासी बच्चों ने गंवाई जान

कोरबा। प्रदेश में बीते तीन साल में 25 हजार से ज्यादा बच्चों की मौत अलग-अलग बीमारियों की वजह से हुई है। इसमें सबसे अधिक 13 हजार नवजात बच्चों की मौतें हुईं। वहीं 8 हजार शिशु व 38 सौ से ज्यादा बालकों की जान चली गई। यही नहीं 955 गर्भवती महिलाओं ने भी प्रसव के दौरान दम तोड़ दिया।
छत्तीसगढ़ से राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम के एक सवाल पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने यह जानकारी सदन में दी।
दिए गए जवाब के मुताबिक, 2018-19 से 2020-21 तक प्रदेश के आदिवासी जिले व आंशिक जनजातीय जिलों में न्यूमोनिया, सेपसिस, एसफिक्सिया, निमोनिया, डायरिया, बुखार, खसरा समेत अन्य बीमारियों से उपरोक्त समयावधि में 25 हजार 164 बच्चों की जानें गई हैं। वहीं प्रसव के दौरान महिलाओं की हेमरेज, सेपसिस, गर्भपात, प्रसव में रुकावट और हाइपरटेंसिव की वजह से जानें गई हैं।
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 इस जवाब में कुपोषण से कोई मौत दर्ज नहीं है। नवजात, शिशु मृत्यु व बाल मृत्यु दर में इस अवधि में सबसे अधिक इजाफा हुआ है। यह डाटा एचएमआईएस और छत्तीसगढ़ निगरानी कार्यक्रम पोर्टल से लिया गया है।
बीते 3 साल में बच्चों की मौत पर एक नजर
वर्ष- नवजात – शिशु – बाल
2018-19- 3292- 1965- 1193
2019-20- 3254- 2339- 1213
2020-21- 6066- 3737- 1477
कुल- 13210- 8071- 3883
4 सप्ताह के नवजातों की मौतों के आंकड़े
– सेपसिस से – 1677
– एसफिसिया से- 2930
– अन्य बीमारियों से – 8603
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शिशुओं की मौतों के आंकड़े
बीमारी- शिशु – बालकों
निमोनिया- 1858- 327
डायरिया- 78- 63
बुखार- 34- 232
खसरा- 04- 17
अन्य- 802- 3244
सबसे ज्यादा आदिवासी बच्चों की मौत सरगुजा-बस्तर में
प्रदेश के जिन जिलों में 0 से 28 दिन के बच्चों की मौतें सबसे अधिक हुई हैं उनमें सरगुजा में 1858, बस्तर में 1311, कोरिया में 529, राजनांदगांव में 1374, रायगढ़ में 1487 और महासमुंद में 767 मौतें हुई हैं। इसी तरह कवर्धा, जशपुरनगर, बलरामपुर जिले में भी अधिक मौतें हैं। कोरबा, पेंड्रा, नारायणपुर, कांकेर में मौतों का ग्राफ कम है।
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महिलाओं की उच्च रक्तचाप से अधिक मौतें
आदिवासी प्रसूताओं में इस दौरान सबसे अधिक जानें उच्च रक्तचाप से गई हैं। हेमरेज से ही 91 गर्भवती आदिवासी महिलाओं ने दम तोड़ा है। हेमरेज से सबसे अधिक मौतें कोरबा जिले में हुई हैं।
इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव ने कहा कि मनिंदर कौर द्विवेदी इसकी अलग-अलग वजह हो सकती हैं। चूंकि अब जांचें ज्यादा होती हैं, इसलिए आंकड़े बढ़ हुए दिख सकते हैं।

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