रायपुर। छत्तीसगढ़ में तीन से चार जिले ऐसे हैं, जहां सूखा पडऩे की नौबत आ गई है। कुछ जलाशयों में पानी भी कम है। इसे लेकर राज्य सरकार भी सतर्क हो गई है। राजस्व विभाग ने 25 अगस्त तक की बारिश के आधार पर माना है कि चार जिलों की छह तहसीलें ऐसी हैं, जहां इस बार 50 फीसदी से कम बारिश हुई है। इनमें कांकेर की दुर्गकोंदल, चारामा व कांकेर, सरगुजा जिले की दरिमा, बस्तर जिले की बकावंड और रायपुर जिले की आरंग है। इसी प्रकार 18 से 44 तहसीलों में 51 से 75 फीसदी औसत बारिश हुई है। वहीं 23 जिलों की 65 तहसीलों में 76 से 100 फीसदी बारिश हुई है।
फसलों की मांगी जानकारी
राजस्व विभाग की सचिव रीता शांडिल्य ने प्रदेश के सभी कलेक्टरों को पत्र जारी कर 31 अगस्त तक की स्थिति में तहसीलवार जानकारी मांगी है। जानकारी देने के लिए कलेक्टरों को 7 सितम्बर तक का समय दिया गया है। यह भी पूछा गया है कि यदि किसी प्रकार की क्षति होती है, तो उत्पादकता पर कितना प्रभाव पड़ेगा।
गंगरेल के पानी से किसानों को राहत
सूखे की स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने बांधों से पानी छोडऩे के निर्देश दे दिए हैं, लेकिन इसका सबसे कम फायदा तांदुला के सिंचाई क्षेत्र में पड़ रहा है। यहां कांकेर और बालोद जिले में अल्पवर्षा से जलभराव 18.91 फीसदी ही हुआ है। यहां से भिलाई इस्पात संयंत्र को भी पानी दिया जाता है। गंगरेल से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है। बुधवार की स्थिति में गंगरेल के कमाण्ड एरिया के लगभग डेढ़ लाख हेक्टेयर में सिंचाई के लिए पानी दिया जा चुका है। हसदेव-गंगा कछार परियोजना से अंबिकापुर क्षेत्र में 66 हजार हेक्टेयर में जलापूर्ति की गई है।
पिछले साल की तुलना में बांधों में कम जलभराव
पिछले साल की तुलना में बांधों में जलभराव की स्थिति संतोषजनक नहीं है। प्रदेश के छोटे-बड़े 46 जलाशयों में वर्ष 2020 में 82.67 फीसदी जलभराव था। इस बार बांधों में मात्र 67.74 फीसदी जलभराव है। पांच बांधों में 100 फीसदी जलभराव की स्थिति है, लेकिन माटियामोटी व तांदुला में जलभराव की स्थिति 20 फीसदी भी नहीं है।
जिलों के कलेक्टरों को पत्र लिखकर सूखाग्रस्त तहसीलों की जानकारी मांगी है। जानकारी के आधार पर आगे का फैसला लिया जाएगा।
रीता शांडिल्य, सचिव, राजस्व विभाग
दुर्ग : 684.9 मिमी बारिश फिर भी सूखे के हालात
जिले में सामान्य बारिश के बाद भी इस बार सूखे के हालात दिख रहे हैं। जिले में सामान्य स्थिति में अगस्त के अंतिम सप्ताह तक 697.4 मिमी बारिश होनी चाहिए। इसके विरुद्ध 684.9 मिमी बारिश हो चुकी है। जिले में बारिश तो हुई है, लेकिन अल्प व खंडवर्षा के कारण खेतों में पानी का जमाव नहीं हो रहा है। ऐसे में जल्द बारिश नहीं हुई तो फसलों को नुकसान होगा। वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक वी जैन के मुताबिक पानी नहीं गिरने का असर फसल पर दिखने लगा है। पौधे अब पीले होने लगे हैं, लेकिन अभी भी 8 से 15 दिन के भीतर बारिश हो जाती है तो फसल रिकवर हो जाएगी।
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