रायपुर। प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ गोबर खरीदी करने वाला देश का पहला
राज्य होने के साथ ही गोबर खरीदी को लाभ में बदलने वाला भी पहला राज्य है। उन्होंने बताया कि गोबर से वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने के साथ ही इसे और भी अधिक लाभदायक बनाने की दिशा में काम आगे किया जाना चाहिए। यहां गोबर से बिजली उत्पादन की संभावनाओं का अध्ययन किया जाना चाहिए, चारे के मामले में गौठानों को स्वावलंबी बनाने के साथ-साथ यहां आर्थिक गतिविधियां बढ़ाने की भी कोशिश की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में गौठानों के प्रति लोगों का ध्यान आकर्षित हो रहा है, ऐसे मे गौठानों को और भी अधिक मजबूत बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कलेक्टरों को गौठानों के संधारण, मरम्मत और निर्माण कार्यों की जरूरत की लगातार समीक्षा और आवश्यकतानुसार कार्य कराने के निर्देश दिए।
जानकारी के मुताबिक, मुख्यमंत्री आज यहां अपने निवास कार्यालय में गोधन न्याय योजना के तहत गोबर बेचने वाले पशुपालकों एवं संग्राहकों को गोबर खरीदी के बदले राशि, महिला स्व-सहायता समूहों को लाभांश की राशि और गौठान समितियों को 5 करोड़ 33 लाख रूपए की राशि का अंतरण करने के बाद कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में गोधन न्याय योजना के तहत पशुपालकों एवं संग्राहकों के खाते में बेचे गए गोबर के बदले 27वीं किश्त के रूप में 1 करोड़ 74 लाख रूपए की राशि ऑनलाईन अंतरित की। इस राशि को मिलाकर पशुपालकों और संग्राहकों को गोबर खरीदी की अब तक 100 करोड़ 82 लाख रूपए की राशि का भुगतान किया जा चुका है। इस अवसर पर उन्होंने स्व-सहायता समूहों को लाभांश के रूप में 1 करोड़ 41 लाख रूपए तथा गौठान समितियों को 2 करोड़ 18 लाख रूपए की राशि का भी भुगतान किया।
बता दें कि स्व-सहायता समूहों को अब तक लाभांश की राशि के रूप में कुल 21 करोड़ 42 लाख रूपए तथा गौठान समितियों को 32 करोड़ 94 लाख रूपए की राशि का भुगतान किया जा चुका है। अब तक स्व-सहायता समूहों और गौठान समितियों को कुल 54 करोड़ 36 लाख रूपए की राशि का भुगतान किया गया है। वहीं, गोधन न्याय योजना से 1 लाख 74 हजार से अधिक पशुपालक और संग्राहक लाभान्वित हुए हैं। अब तक 50 लाख क्विंटल गोबर की खरीदी की जा चुकी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोग गोबर से वर्मी कम्पोस्ट के अतिरिक्त दूसरी लाभप्रद गतिविधियां शुरू करने की ओर अग्रसर हैं। यहां तक कि कुछ जगहों में गौठान में गोबर गैस तैयार कर घरों में गैस सप्लाई का काम भी शुरू हुआ है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि गोबर से बिजली उत्पादन की संभावनाओं का अध्ययन किया जाना चाहिए। अगर यह कार्य संभव होता है, तो यह हम सबके लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। राज्य शासन द्वारा छत्तीसगढ़ तेलघानी, लौह शिल्पकार, चर्म शिल्पकार एवं रजककार बोर्ड का गठन किया गया है। इन बोर्ड़ाें की गतिविधियां भी गौठान में प्रारंभ की जानी चाहिए, जिससे कि लोगों को रोजगार मिल सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गौठानों का संचालन एक निरंतर प्रक्रिया है, इस वजह से गौठानों में निर्माण, संधारण और मरम्मत आदि जैसे कार्य लगातार करने की आवश्यकता है। सभी कलेक्टर्स इस विषय को सप्ताहिक समय-सीमा की बैठक में शामिल कर गौठानों में संचालित गतिविधियों की निरंतर समीक्षा करें। उन्होंने कहा कि जहां पर गौठान समितियां सक्रिय नहीं है, वहां जनप्रतिनिधियों, कलेक्टरों और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों से चर्चा कर दूसरे लोगों को भी अवसर प्रदान किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में गौठानों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और शहरी क्षेत्रों में गौठान और गोधन न्याय योजना को लेकर लोकप्रियता भी बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में स्वावलंबी गौठानों की संख्या बढ़ रही है। एक साल में स्वावलंबी गौठानों की संख्या बढ़कर 1634 हो गई है। इसका मतलब है कि लोग का इन योजनाओं के प्रति रुचि ले रहे हैं।
सीएम बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ दो रूपए किलो में गोबर खरीदी करने वाला देश का पहला राज्य है। साथ ही छत्तीसगढ़ में गोबर को लाभ की वस्तु में बदलने में भी कामयाबी मिली है। गोबर से तैयार हो रही वर्मी कम्पोस्ट का प्रयोग बड़ी संख्या में किसान स्व-प्रेरणा से कर रहे हैं। इसके कारण जैविक खेती को तो बढ़ावा मिल ही रहा है, साथ ही गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट बनाने के काम में संलग्न तथा अन्य आर्थिक गतिविधियों में काम कर रहे 9 हजार से अधिक स्व-सहायता समूहों की लगभग 64 हजार महिलाओं को रोजगार और आय का माध्यम मिला है। वर्मी कम्पोस्ट के प्रयोग से सब्जियों, अनाज और फलों की गुणवत्ता और भी बेहतर होगी। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी काफी लाभदायक होंगे।
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