गुप्तचर विशेष

भारत का अनोखा गांव जहां सुहागन होने के बाद भी स्त्रियां रहती हैं विधवाओं की तरह, गजब की है परंपरा जानें क्‍यों करते हैं ऐसा

स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए सोलह श्रृंगार करती है व्रत रखती हैं किन्तु आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि एक समुदाय ऐसा भी है जहां की महिलाएं पति के जीवित रहते हुए भी हर साल कुछ समय के लिए विधवाओं की तरह रहती हैं। यह समुदाय है ‘गछवाहा समुदाय’। इस समुदाय की महिलाएं लंबे समय से इस रिवाज को निभाती आ रही हैं। ऐसा मालूम हुआ है कि यहां की महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए हर साल विधवाओं की तरह रहती हैं। तो चलिए जानते हैं क्या है इस रिवाज के पीछे की मान्यता।
ताड़ी उतारने का काम करते हैं पति
गछवाहा समुदाय के लोग मुख्यतः पूर्वी उत्तर प्रदेश में निवास करते हैं। यहां के आदमी लगभग पांच माह तक पेड़ों से ताड़ी उतारने (एक तरह का पेय पदार्थ) का काम करते हैं। इस बीच जिन महिलाओं के पति पेड़ से ताड़ी उतारने जाते हैं वे महिलाएं विधवाओं की तरह रहती हैं। वे न तो सिंदूर लगाती हैं, न बिंदी, वे किसी भी तरह का कोई श्रंगार नहीं करती हैं। यहां तक कि वे बहुत उदास रहती हैं।
श्रंगार का सामान करती हैं कुलदेवी को अर्पण
गछवाहा समुदाय में तरकुलहा देवी की कुलदेवी के रूप में पूजा की जाती है। जिस दौरान पुरुष ताड़ी उतारने का काम करते हैं तो उनकी पत्नियां अपना सारा श्रंगार देवी के मंदिर में रख देती हैं। जिन पेड़ों (ताड़ के पेड़) से ताड़ी उतारी जाती है वे बहुत ही ऊंचे होते हैं और जरा सी भी चूक व्यक्ति की मौत का कारण बन सकती है, इसलिए यहां की महिलाएं कुलदेवी से अपने पति की लंबी उम्र की याचना करती हैं और श्रंगार को उनके मंदिर में ही रख देती हैं।

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