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चार राज्यों ने छत्तीसगढ़ से पोहा खरीदी की बंद, उत्पादन में 60 फीसदी की कटौती

कोरोना संक्रमण के चलते पोहा मिल पर पड़ा आर्थिक संकट

– उत्पादन घटाने का फैसला के बाद इसका असर कृषि उपज मंडी तक पहुंचना निश्चित

भाटापारा. कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बाद लॉकडाउन से पोहा उपभोक्ता राज्यों ने छत्तीसगढ़ से पोहा की खरीदी पर ब्रेक लगा दिया है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि पोहा मिल मालिकों को उत्पादन 60 फीसदी तक कम करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। आने वाले सप्ताह में इसमें और गिरावट के प्रबल आसार हैं क्योंकि घरेलू मांग भी तेजी से गिर रही है। वर्तमान में कृषि उपज मंडी भी लॉक डाउन की वजह से 28 तारीख तक के लिए बंद कर दी गई है फ ल स्वरुप मिल मालिकों को पोहा उत्पादन के लिए धान नहीं मिल पाएगा। इस वजह से भी पोहा के उत्पादन में कमी आएगी।

कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बाद एक बार फिर से राज्यों ने लॉकडाउन का फैसला ले लिया है। संक्रमण के मामलों में शीर्ष पर चल रहे महाराष्ट्र समेत कर्नाटक आंध्र प्रदेश और मध्यप्रदेश में हालात चिंताजनक हो चली हैं। इसे नियंत्रित करने की कोशिश के बीच इन राज्यों में लॉकडाउन का लगना तेजी से चालू हो चुका है। वहीं इसका असर छत्तीसगढ़ के पोहा उद्योग पर तेजी से पड़ रहा है यहां उत्पादन में 60 फ ीसदी कमी लाने पर इकाईयां मजबूर होने लगी है। इसमें और कमी किए जाने की आशंका बन चुकी है। पोहा के बिक्री कुछ चुनिंदा बड़े राज्यों में अधिक होती रही है लेकिन उन बड़े राज्यों से लोगों के पलायन कर वापस अपने-अपने प्रदेश चले जाने की वजह से उन राज्यों में पोहा की मांग निरंतर घटते जा रही है जिसका सीधा असर व्यापार व्यवसाय उद्योग पर पड़ रहा है।

इन राज्यों ने छत्तीसगढ़ से बंद की खरीदी
छत्तीसगढ़ के पोहा के प्रमुख खरीदार के रूप में महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्र्रदेश और मध्य प्रदेश को जाना जाता है। इन राज्यों में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि अब इसे नियंत्रित करने के लिए लॉकडाउन ही अंतिम उपाय रह गया है। लिहाजा यहां से छत्तीसगढ़ को पोहा के आर्डर दिए जाने बंद हो चुके हैं। इसका असर पोहा मिलों पर पडऩा चालू हो गया है।

घटाया 60 फीसदी उत्पादन
इन चार राज्यों की मांग के दम पर चलने वाली पोहा मिलों के सामने अब संचालन चुनौती बनकर सामने आ चुकी है। कमजोर मांग के बाद उत्पादन की मात्रा घटाने और काम के घंटे कम करना ही अंतिम उपाय रह गया है इसलिए पोहा मिलों ने उत्पादन में 60 फ ीसदी की कटौती कर दी है। इसमें और कमी किए जाने के संकेत मिल रहे हैं।

घरेलू मांग भी घटी
पोहा मिलों के सामने अब गिरती घरेलू मांग भी चुनौती के रूप में सामने आने लगी है क्योंकि राज्य में भी कोरोना संक्रमण के मामले बढऩे के बाद 22 जुलाई से लॉकडाउन किए जाने की घोषणा की जा चुकी। ऐसे में मिलों को चलाना गंभीर आर्थिक संकट को जन्म दे सकता है। इसलिए संकेत मिल रहे हैं जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती तब तक उत्पादन को सामान्य स्तर पर लाना सही नहीं होगा।

यहां पर भी पड़ेगा असर
पोहा की मांग नहीं होने के बाद जिस तरह उत्पादन घटाने का फैसला लिया गया है उसका असर कृषि उपज मंडी तक पहुंचना निश्चित है। धान की कुल आवक का 80 फीसदी हिस्सा पोहा मिलें ही खरीदी कर रही है। जिस मात्रा में उत्पादन हटाया जा चुका है उसके बाद सीधा असर किसानों पर पड़ेगा क्योंकि अधिकतर किसान पोहा क्वालिटी धान की फसल लेते हैं। जब मिलों ने अपना उत्पादन घटाना चालू कर दिया है ऐसे में पोहा क्वालिटी की धान की खरीदी कौन करेगा, जैसे सवाल उठने लगे हैं।

महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश, आंध्रप्रदेश व अन्य कई राज्यों में भाटापारा से पोहा की खऱीदी की जाती रही है। इन राज्यों में कोरोना का संक्रमण होने की वजह से लॉकडाउन होने के कारण पोहे के ऑर्डर नहीं मिल रहे हे जिसके कारण उत्पादन में कमी की गई है। पोहा, मुरमुरा निर्माताओं की स्थिति वर्तमान में अच्छी नहीं है।
राजेश थारानी, अध्यक्ष पोहा मुरमुरा निर्माता संघ, भाटापारा

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