15 अगस्त 1947 के दिन भारत को आजादी मिली। सवाल उठता है आख़िर ये दिन किसने तय किया होगा? भारत को आजाद करने के लिए 15 अगस्त की तारीख़ की क्यों चुनी गई। तो आपकी जानकारी के लिए आपको बता दें कि 15 अगस्त की तारीख़ को तय करने के पीछे एक बहुत ही रोचक किस्सा है। तो चलिए हम आपको बताते हैं इस किस्से के बारे में कि आख़िर कैसे आजादी की तारीख़ तय की गई। आपको बता दें कि भारत की आजादी पर एक बेहद चर्चित किताब लिखी गई है और वो है “फ्रीडम एट मिडनाइट”।
ये किस्सा जो हम आपको बता रहे हैं वो किस्सा भारत के आजाद होने से करीब ढ़ाई महीने पहले का है। तब लॉर्ड माउंटबेटन ने महात्मा गांधी को भारत के बंटवारे के लिए मना लिया था। लॉर्ड माउंटबेटन एक प्रेस कॉफ्रेंस के जरिए लोगोँ को बताते हैं कि किस तरह से करोड़ों लोगों का विस्थापन होगा और किस तरह से भोगौलिक आधार पर दोनों देशों (पाकिस्तान और भारत) को बांटा जाएगा।
इस प्रेस कॉंफ़्रेंस में जिसमें देश और दुनिया के तमाम नामी पत्रकार शामिल होते हैं। फिर प्रेस कांफ्रेंस के अंतिम चरण में एक पत्रकार द्वारा एक सवाल पूछा जाता है कि ” जब आप अभी से भारत को सत्ता सौपें जाने वाले समय तक के कार्यों की बात कर ही रहे हैं तो क्या आपने वो तिथि तय की है जब भारत को सत्ता सौपीं जाएगी। “यह सवाल सुनकर माउंटबेटन कहते हैं- “हां ये दिन तय हो गया है।” इसके बाद उस पत्रकार ने पूछा “आखिर वह कौनसा दिन है”? माउंट बेटन कोई जवाब नहीं दे पाते क्योंकि असल में उन्होंने कोई तारीख़ तय ही नहीं की थी।
इसके बाद पूरे सभागार में सन्नाटा छा जाता है क्योंकि हर कोई उस तिथि को जानने के लिए बहुत ही ज्यादा उत्साहित था जिस दिन भारत आजाद होने वाला था । दूसरी ओर माउंटबेटन इस सोंच में लगे होते हैं कि आखिर वह कौन सा दिन बताएं। पल तो तिथि को लेकर उन्होंने बहुत ही ज्यादा सोच विचार किया। उनके दिमाग में बहुत सारी तिथियां आई। काफी सोचने विचारने के बाद लॉर्ड माउंटबेटन कहते हैं “मैंने तिथि तय कर ली है और ये तिथि है 15 अगस्त 1947” और इसी के साथ वह दिन तय हो जाता है।
किंतु जब देश की ज्योतिषियों को इस बात का पता चलता है तो कि 15 अगस्त को देश आजाद होने वाला है तो उनमें हड़कप मच जाता है। वे सब इस बात का जबरदस्त विरोध करते हैं। लेकिन तारीख़ नहीं बदलती। लॉर्ड माउंटबेटन 15 अगस्त की तारीख पर अड़े थे। इसका एक खास कारण था। वो ये था कि जब माउंटबेटन बर्मा में ब्रिटिश सेना का नेतृत्व कर रहे थे तब जापान ने उनके सामने बिना किसी शर्त के आत्मसमर्पण कर दिया था।
जानकारी के मुताबिक, माउंट बेटन दूसरे विश्व युद्ध के दौरान 1945 में 15 अगस्त के दिन ही ब्रिटेन के सामने जापान के आत्मसमर्पण को अपनी विजय के रूप में देख रहे थे। इसके पश्चात उन्हें लगा कि क्यो ना अब खास विजय की दूसरी वर्षगांठ के मौके पर भारत को आजाद किया जाए और इस तरह वह तिथि तय हो गई।