नई दिल्ली| योगगुरु रामदेव ने बढ़ते विवाद के बीच एलोपैथी डॉक्टरों पर दिया अपना बयान वापस ले लिया है| उन्होंने डॉ. हर्षवर्धन के चिट्ठी पर ट्वीट करते हुए लिखा कि माननीय डॉ. हर्षवर्धन जी आपका पत्र प्राप्त हुआ, उसके संदर्भ में चिकित्सा पद्दतियों के संघर्ष के इस पूरे विवाद को खेदपूर्वक विराम देते हुए मैं अपना वक्तव्य वापिस लेता हूं और यह पत्र आपको संप्रेषित कर रहा हूं|
माननीय श्री @drharshvardhan जी आपका पत्र प्राप्त हुआ,
उसके संदर्भ में चिकित्सा पद्दतियों के संघर्ष के इस पूरे विवाद को खेदपूर्वक विराम देते हुए मैं अपना वक्तव्य वापिस लेता हूँ और यह पत्र आपको संप्रेषित कर रहा हूं- pic.twitter.com/jEAr59VtEe— स्वामी रामदेव (@yogrishiramdev) May 23, 2021
उन्होंने लिखा कि हम आधुनिक चिकित्सा विज्ञान तथा एलोपैथी के विरोधी नहीं है| हम यह मानते हैं कि जीवन रक्षा प्रणाली तथा शल्य चिकित्सा के विज्ञान में एलोपैथी ने बहुत प्रगति की है और मानवता की सेवा की ह| मेरा जो एक वक्तव्य कोट किया गया है यह एक कार्यकर्ता बैठक का वक्तव्य है, जिसमें मैंने आए हुए व्हाट्सएप मैसेज को पढ़कर सुनाया था|
उससे अगर किसी की भावनाए आहत हुई हैं तो मुझे खेद है| बता दें की इससे पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने योगगुरु रामदेव के एलोपैथी वाले बयान को लेकर उन्हें खत लिखकर अपना बयान वापस लेने को कहा था|
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डॉ. हर्षवर्धन ने अपने ट्विटर हैंडल पर वह पत्र भी सार्वजनिक किया है, इससे पहले उन्होंने ट्विटर हैंडल पर कैप्शन में लिखा है, संपूर्ण देशवासियों के लिए #COVID19 के खिलाफ़ दिन-रात युद्धरत डॉक्टर व अन्य स्वास्थ्यकर्मी देवतुल्य हैं| बाबा रामदेव के वक्तव्य ने कोरोना योद्धाओं का निरादर कर, देशभर की भावनाओं को गहरी ठेस पहुंचाई है, मैंने उन्हें पत्र लिखकर अपना आपत्तिजनक वक्तव्य वापस लेने को कहा है|
उन्होंने लिखा, एलोपैथि क दवाओं और डॉक्टरों पर आपकी टिप्पणी से देशवासी बेहद आहत हैं| लोगों की इस भावना से मैं आपको फोन पर पहले भी अवगत करा चुका हूं संपूर्ण देशवासियों के लिए कोरोना के खिलाफ दिन-रात जंग लड़ रहे डॉक्टर औऱ अन्य स्वास्थ्यकर्मी भगवान हैं|
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उन्होंने लिखा, आपके बयान न न केवल कोरोना योद्धाओं का निरादर किया है, बल्कि देशवासियों की भावनाओं को भी गहरी ठेस पहुंचाई है| आपने जो स्पष्टीकरण जारी किया है, वह लोगों की आहत भावनाओं पर मरहम लगाने में नाकाफी हैं| कोरोना महामारी के इस दौर में एलोपैथी और उससे जुड़े डॉक्टरों ने करोड़ों लोगों को नया जीवनदान दिया है|
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यह कहना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि लाखों कोरोना मरीजों की मौत एलोपैथी दवा खाने से हुई है| एलोपैथी चिकित्सा पद्धति को तमाशा, बेकार और दिवालिया बताना भी अफसोसनाक है| आज लाखों लोग कोरोना से ठीक होकर घर जा रहे हैं| कोरोना से मृत्यु दर 1.13 फीसदी औऱ रिकवरी रेट 88 फीसदी से अधिक है, इसके पीछे एलोपैथी और डॉक्टरों का अहम योगदान है|
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