दुनिया को खतरे में डालने वाले ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने बड़ा दावा किया है। यह बताया गया है कि उनकी दवा सोट्रोविमैब (Sotrovimab) ओमिक्रॉन के प्रत्येक म्यूटेशन के खिलाफ असरदार है और प्रभावी साबित हुई है।
इस दवा को GlaxoSmithklein (GSK) ने यूएस पार्टनर वीर (VIR) बायोटेक्नोलॉजी के सहयोग से विकसित किया है। वहीं दवा अब ओमिक्रॉन प्रकार के खिलाफ प्रभावी मानी जाती है।
उसी जारी एक बयान में, कंपनी ने दावा किया कि सोट्रोविमैब, इसकी दवा, ने ओमिक्रॉन के 37 उत्परिवर्तन के खिलाफ प्रभावी ढंग से काम किया है। पिछले हफ्ते भी, एक पूर्व-नैदानिक परीक्षण के बाद, यह बताया गया था कि सोट्रोविमेब दवा ओमिक्रॉन के खिलाफ काम करती है। कंपनी ने इस बात पर भी जोर दिया है कि दवा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा उल्लिखित हर प्रकार के खिलाफ प्रभावी ढंग से काम करती है।
कंपनी ने बताया है कि उनकी दवा मोनोक्लोनल एंटीबॉडी है। इसे इंसानों द्वारा पहले से बनाए गए प्राकृतिक एंटीबॉडी पर आधारित बताया जा रहा है। ऐसे में इसकी प्रभावशीलता अन्य दवाओं की तुलना में अधिक मानी जाती है।
देश में 2 दिसंबर को ओमिक्रॉन का पहला मामला सामने आया था और अब 23 मामले हो गए हैं। यानी 5 दिनों में 10 गुना से ज्यादा की बढ़ोतरी। सिर्फ 5 दिनों में दक्षिण अफ्रीका के ओमिक्रॉन ने 5 क्षेत्रों पर हमला किया है। महाराष्ट्र में 10, राजस्थान में 9, कर्नाटक में 2, दिल्ली और गुजरात में 1-1 मरीज मिले हैं। इसलिए जरूरी है कि हम जरूरी सावधानियां बरतें।
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